NEWSPR DESK- DELHI- आधुनिक जैव प्रौद्योगिकी नई आणविक तकनीकों और उनके संभावित अनुप्रयोगों के आगमन के साथ तीव्र गति से आगे बढ़ रही है। पादप जीनोम संपादन अनुप्रयुक्त जैविक अनुसंधान एवं नवाचार के क्षेत्र में सबसे अधिक उन आशाजनक तकनीकों में से एक है जिसके व्यापक क्षेत्रों में एक विशाल आर्थिक संभावनाएं हैं। भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने व्यापक विचार–विमर्श के माध्यम से जीनोम संपादित पौधों के सुरक्षा मूल्यांकन के लिए मसौदा दिशानिर्देशों के विकास की पहल कर ली है।
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 30 मार्च 2022 को ऐसे जीनोम संपादित पौधों की एसडीएन-1 और एसडीएन-2 श्रेणियों की छूट के लिए एक कार्यालय ज्ञापन जारी किया जो पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के नियम 1989 के प्रावधान 7 से 11 (दोनों शामिल हैं) से इतर प्रविष्ट कराए गए डीएनए से मुक्त हैं। मसौदा दिशानिर्देशों को अनुवांशिक बदलाव पर समीक्षा समिति (आरसीजीएम) द्वारा 28.04.2022 को आयोजित अपनी 231 वीं बैठक में तदनुसार संशोधित, सुविचारित और अनुमोदित किया गया था।
इसके बाद” जीनोम संपादित पौधों के सुरक्षा आकलन के लिए दिशानिर्देश, 2022“ को 17 मई 2022 को अधिसूचित किया गया। ये दिशानिर्देश उपयुक्त श्रेणी के प्रयोगों के लिए नियामक आवश्यकता निर्धारित करते हैं तथा जीनोम संपादित पौधों के अनुसंधान और विकास के संदर्भ में डेटा आवश्यकता पर नियामक ढांचा और वैज्ञानिक मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
संस्थागत जैव सुरक्षा समितियों (आईबीएससी) द्वारा जैव सुरक्षा विनियमन को सक्षम बनाने के उद्देश्य से सभी हितधारकों को स्पष्टता लाने के लिए एसओपी और जांच–सूची का मसौदा तैयार किया गया था। आरसीजीएम की सिफारिशों के आधार पर ” एसडीएन-1 और एसडीएन-2 की श्रेणियां, 2022 के अंतर्गत जीनोम संपादित पौधों की नियामक समीक्षा के लिए मानक संचालन प्रक्रिया “04 अक्टूबर 2022 को अधिसूचित की गई थी। ये मानक संचालन प्रक्रियाएं अधिसूचना के दिनांक से एसडीएन-1 और एसडीएन-2 श्रेणियों के तहत अंतर्गत जीनोम संपादित पौधों के विकास और संचालन अनुसंधान में शामिल सभी संगठनों के लिए लागू होंगी।
एसओपी नियामक कार्य योजना एवं अनुसंधान तथा विकास के लिए आवश्यक मदें उपलब्ध कराते हैं और एसडीएन-1 अथवा एसडीएन-2 श्रेणियों के अंतर्गत जीनोम संपादित पादपों से छूट के लिए प्रदत्त सीमा को पूरा करते हैं।
अनुसंधान और कृषि के क्षेत्र में अनुप्रयोगों में जीनोम सम्पादन के अनुप्रयोगों में संभावित भारी वृद्धि तथा प्रगति को ध्यान में रखते हुए अब से ये दिशानिर्देश और मानक संचालन प्रक्रियाएं देश के लिए बहुत मूल्यवान संसाधन दस्तावेज बनेंगे। इन दिशानिर्देशों और एसओपी से पौधों की किस्मों के विकास में तेजी आने और अनुमोदन के समय में कमी आने की उम्मीद है।
उन्नत लक्षणों वाली नई पौधों की प्रजातियां किसान की आय बढ़ाने में योगदान देंगी। कुल मिलाकर, यह नियमन व्यवस्था सुव्यवस्थित उत्पाद विकास और व्यावसायीकरण में परिवर्तनकारी बदलाव लाएगी और इस तरह भारत सरकार के आत्मनिर्भर भारत के एजेंडे में भी अपना योगदान देगी। इसने जीनोम संपादित पादप आधारित प्रौद्योगिकी और इसके अनुप्रयोगों में उभरती हुई वैश्विक शक्ति के रूप में भारत के लिए मार्ग प्रशस्त किया है।