नई दिल्ली: ईद बस अब एक दिन ही दूर है और सभी रोज़दारों को ईद-उल-फितर के चांद दिखने का बेसब्री से इंतज़ार है। मुस्लिम समुदाय के लिए ईद एक बेहद खास त्योहार माना जाता है। एक महीना रमज़ान में अल्लाह की इबादत की जाती है और फिर ईद का जश्न मनता है।
हर साल रमज़ानों के खत्म होने के बाद लोग ईद क दिन सुबह-सुबह नहाकर, नए कपड़े पहनते हैं, मस्जिदों में नमाज़ पढ़त हैं और लोगों से गले मिलकर सारी गिला शिकवा दूर करते हैं। हालांकि, इस बार कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों और लॉकडाउन के चलते लोग अपने-अपने घरों में ही ईद मनाएंगे।
ईद, दीवाली के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा त्योहार है जिसमें सैकड़ों करोड़ की खरीददारी होती है, जो इस बार बिल्कुल बंद है। शायद ऐसा पहली बार होगा जब देश भर में ईद हमेशा जैसी नहीं मनाई जाएगी। इस बार न बाज़ारों में ईद की रौनक़ दिखेगी, न ही लोग मस्जिदों में नमाज़ पढ़ेंगे, न किसी के घर जाएंगे, न किसी से हाथ मिलाएंगे और न ही गले मिलेंगे। इस बार सभी लोग अपने घरों में अकेले या सिर्फ अपने परिवार के साथ ईद मनाएंगे। मुस्लिम धर्मगुरुओं ने भी इस पर रोक लगा दी है। उन्होंने अपील की है कि ईद के बजट की आधी रकम लॉकडाउन से बेरोज़गार हुए लोगों की मदद पर खर्च किए जाएं।
हर साल मस्जिदों में आम तौर पर करीब लाखों लोग अलविदा जुमा की नमाज़ पढ़ते हैं लेकिन इस बार मस्जिद में 3-4 लोग ही थे। जितनी भी इबादतगाहें हैं सब बंद हैं, पूरी दुनिया में बंद हैं। सउदी अरब से लेकर, दुनिया की तमाम मस्जिदें बंद हैं। सिर्फ चंद लोग जो मस्जिदों में रहते हैं वही नमाज़ें अदा करते हैं।
ज़िंदगी में हम सभी कई सपनें देखते हैं, कल्पनाएं करते हैं, लेकिन कई ऐसी चीज़ें भी हैं जो इससे परे होती हैं। पुरानी दिल्ली इलाके में ईद की सबसे ज़्यादा रौनक़ देखी जाती थी, आज वही इलाका रेड ज़ोन में है, जहां रास्ते बंद हैं, किसी को वहां से बाहर जाने की इजाज़त नहीं है। रात-दिन पुलिस का पहरा है। किसी से ऐसी कल्पना नहीं की थी कि एक दिन ऐसा भी आएगा जब ईद कुछ इस तरह अकेले ग़ुज़रेगी…