NEWSPR डेस्क। गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी. कृष्णैया हत्याकांड में सजायाफ्ता पूर्व सांसद आनंद मोहन को लेकर बड़ा अपडेट है। पूर्व सांसद पैरोल पर सहरसा जेल से रिहा हो रहे हैं। कृष्णैया हत्याकांड में सजा पूरी होने के बाद भी वो करीब 14 साल से अधिक समय से जेल में बंद हैं। बुधवार को वो जेल से बाहर आएंगे। जानकारी के मुताबिक, पारिवारिक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पूर्व सांसद को 15 दिनों की पैरोल मिली है।
आपको बता दें कि 5 दिसंबर 1994 को मुजफ्फरपुर जिले में जिस भीड़ ने गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी. कृष्णैया की पीट-पीट कर हत्या की थी, उसका नेतृत्व आनंद मोहन कर रहे थे। एक दिन पहले (4 दिसंबर 1994) मुजफ्फरपुर में आनंद मोहन की पार्टी (बिहार पीपुल्स पार्टी) के नेता रहे छोटन शुक्ला की हत्या हुई थी। इस भीड़ में शामिल लोग छोटन शुक्ला के शव के साथ प्रदर्शन कर रहे थे। तभी मुजफ्फरपुर के रास्ते हाजीपुर में मीटिंग कर गोपालगंज जा रहे डीएम जी. कृष्णैया पर भीड़ ने खबड़ा गांव के पास हमला कर दिया। मॉब लिंचिंग और पुलिसकर्मियों की मौजूदगी के बीच डीएम को गोली मार दी गई। तब कृष्णैया मात्र 35 साल के थे। इसी मामले में पूर्व सांसद आनंद मोहन को सजा हुई थी।
डीएम कृष्णैया हत्याकांड में आनंद मोहन को निचली कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी। हालांकि, 2008 में पटना हाईकोर्ट ने उनकी मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया। फिर ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जहां 2012 में सर्वोच्च अदालत ने पटना हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। वहीं डीएम कृष्णैया हत्याकांड में आनंद मोहन की सजा पूरी हो चुकी है, लेकिन उन्हें जेल से रिहा नहीं किया गया है। हालांकि, अब वो 15 दिन की पैरोल पर रिहा किए जा रहे हैं।
इसी साल जुलाई में एक मामले को लेकर कोर्ट में सुनवाई के लिए पहुंचे पूर्व सांसद आनंद मोहन ने कई बातें कही थीं। उन्होंने कहा था कि कृष्णैया हत्याकांड में उनकी सजा पूरी होने के बाद भी वो 14 वर्षों से जेल में बंद हैं। हम जानते हैं कि अंधेरा चाहे कितना भी घना क्यों नहीं हो सूरज को उगने से नहीं रोक सकता है। रात की औकात नहीं है कि वो सुबह को रोक दे। इसलिए हम इन बातों से घबराते नहीं है। हो सकता है नियति हमारे लिए बड़ी भूमिका तय की हो, इसलिए हम निराश नहीं है। हताश नहीं हैं। हम मजबूती से अब भी न्याय के प्रति न्यायपालिका के प्रति मेरी आस्था है, आज नहीं तो कल सब साफ होगा।