NEWSPR डेस्क। पटना बिहार के किशनगंज जिले के एसपी डॉ. इनामुल हक मेंगनू इन दिनों चर्चा में बने हुए हैं। उन्होंने अपने जिले में एक नवाचार किया है। उस नवाचार से जब बिहार राज्य गृह विभाग परिचित हुआ, तो विभाग ने उसे पूरे बिहार के थानों में लागू करने का विचार किया है। डॉ. इनामुल हक मेंगनू के ई-मालखाना मॉडल को बिहार सरकार राज्य के सभी थानों में लागू करेगी। गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद के नेतृत्व में एक बैठक आयोजित हुई। जिसमें ये फैसला लिया गया कि किशनगंज एसपी डॉ. इनामुल हक मेंगनू का ई-मालखाना मॉडल काफी कारगर है। इसे राज्य के सभी थानों को अपनाना चाहिए।
ई-मालखाना मॉडल
बताया जा रहा है कि इस मॉडल की खासियत ऐसी है कि एक तरफ बिहार सरकार के पुलिस राजस्व में बढ़ोतरी होगी। वहीं दूसरी ओर पूरे बिहार भरे के थानों में वर्षों से पड़ा कबाड़ चुटकी बजाने वाले अंदाज में गायब हो जाएगा। इससे बिहार के सभी थानों का लुक बदल जाएगा। थाने पूरी तरह स्मार्ट और हाईटेक दिखने लगेंगे। किशनगंज के इस मॉडल पर चर्चा पिछले 21 अक्टूबर को हई थी। जब गृह विभाग के अपर सचिव की ओर से बैठक बुलाई गई थी। इस बैठक में गृह विभाग के अलावा पुलिस मुख्यालय के अधिकारी शामिल हुए थे।
किशनगंज मॉडल
इस बैठक में कई बिंदुओं पर विचार विमर्श किया गया। गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव की ओर से निर्देश जारी किया गया है कि किशनगंज पुलिस के ई-मालखाना मॉडल को राज्य स्तर पर लागू किया जाए। उन्होंने इससे संबंधित कार्रवाई आगे बढ़ाने का निर्देश भी दिया। इसके लिए एक ऐसे सॉफ्टवेयर के निर्माण को अनुमति प्रदान की गई, जिसमें थाने में रखी सामग्री का बारकोड तैयार किया जाएगा। किशनगंज मॉडल को समझने से पहले हम आपको समझाते हैं कि आखिर ये पूरा मॉडल है क्या? हम आपको बताते हैं कि ये कैसे काम करेगा?
डॉ. इनामुल हक मेंगनू का प्रयोग
किशनगंज एसपी डॉ. इनामुल हक मेंगनू ने कुछ दिनों पहले राज्य सरकार को एक प्रस्ताव भेजा था। उस प्रस्ताव में तकनीकी पक्षों को रखते हुए कहा था कि राज्य सरकार के मालखानों में जब्त गाड़ियों को कुछ इस तरह हटाया जा सकता है। रिपोर्ट में उन्होंने कहा था कि जो वाहन थाने में रखे-रखे सड़ जाते हैं। उसकी एक विस्तृत सूची तैयार कराई जाए। उसके बाद वाहन से जुड़ी जानकारी के साथ एक नोटिस जारी किया जाए। इस नोटिस में वाहन के साथ गाड़ी मालिक की पूरी जानकारी हो। यदि वाहन मालिक संबंधित दस्तावेज के साथ थानें, पहुंचे तो उन्हें उनका वाहन सौंप दिया जाए। किशनगंज एसपी ने ये भी सुझाव दिया था कि वाहन मालिकों के क्लेम नहीं करने की स्थिति में उस वाहन की निलामी कर दी जाए।
थाना से कबाड़ होगा खत्म
ई-मालखाना में ये नियम हो कि निलामी से पहले वाहन की तस्वीर पुलिस के पास सुरक्षित रहे। इससे बहुत जल्द थानों से कबाड़ वाहनों का बोझ खत्म हो जाएगा। किशनगंज एसपी ने इस मॉडल को जमुई में एसपी रहते वक्त शुरू करने का विचार किया था। उसके तुरंत बाद उनका तबादला किशनगंज हो गया। किशनगंज पहुंचते ही डॉ. इनामुल हक मेंगनू ने इस ई-मालखाना वाले मॉडल पर काम शुरू कर दिया। उनके मुताबिक ई-मालखाना का एक सॉफ्टवेयर होगा। सॉफ्टवेयर बरामद गाड़ियों पर लगाये जाने वाले बारकोड को स्कैन करते ही पूरी जानकारी पुलिस को देगा। डॉ. इनामुल हक मेंगनू ने इस मॉडल को बकायदा किशनगंज में लागू कर दिया है। जिसका असर साफ दिखने लगा है। बताया जा रहा है कि इस मॉडल के तहत नवंबर के दूसरे सप्ताह में निलामी होगी।
बारकोड सिस्टम लागू होगा
ई-मालखाना नियम के तहत बारकोड के अंदर वाहन रजिस्ट्रेशन नंबर, चेचिस नंबर और इंजन नंबर का डिटेल होगा। उसका पूरा विवरण बारकोड स्कैन करते ही दिखने लगेगा। आपको बता दें कि बिहार के थानों के मालखाना में सालों पुराने वाहन एवं अन्य सामान को रखना बोझ बना हुआ है। मालखाना प्रभारी के लिए सभी सामान को सुरक्षित रखने की चुनौती होती है। इस कारण कई बार देखा जाता है कि मालखाना का प्रभार लेने में पुलिस अधिकारी हिचकते हैं और मालखाना प्रभार लंबित रहता है। इसका मूल कारण वर्षों पुराने सभी वाहन एवं सामानों का सत्यापन कर प्रभार लेना मुश्किल रहता है। अब बारकोड की व्यवस्था होने से ये परेशानी कम हो जाएगा।
बर्बाद हो जाती है संपत्ति
वहीं, पुलिस की ओर से जब्त की गई गाड़ियों के रखने की उचित व्यवस्था नहीं होती। वैसे में इन वाहनों को थाने के सामने खुले में खड़ा कर दिया जाता है। ये वाहन और संपत्ति समय के साथ खुले में वर्षा, मिट्टी एवं जंगल के बीच रहकर बर्बाद हो जाते हैं। कई वाहनों के कई पार्ट्स भी चोरी ही जाते हैं। धीरे-धीरे साल दर साल पुराना होते ही वाहन बर्बाद हो जाते हैं। सूची में कई ऐसे भी वाहन होते हैं, जो काफी पुराने और जर्जर हो चुके हो चुके होते हैं। नीलामी प्रक्रिया के बाद उसे कबाड़ में बेचकर राजस्व जुटाया जा सकता है।