NEWSPR डेस्क। गया ज़िला पदाधिकारी, गया डॉ० त्यागराजन एस०एम० की विशेष पहल से ज़िले में श्रवण श्रुति कार्यकम प्रारंभ किया गया. जिससे अनेको बच्चे जो 6 वर्ष के कम है, उन्हें इयररिंग लॉक की समस्या को जांच करते हुए उन्हें समुचित इलाज करवाया जा रहा है।
श्रवण श्रुति के तहत वैसे बच्चे जो हियरिंग लॉस के समस्या से ठीक हुए हैं, उनकी सक्सेस स्टोरी:-
“मेरा बेटा श्रेयांश सुन नहीं पाता था. डॉक्टरों ने बताया था कि उसके सुनने की क्षमता में कमी है. इसे लेकर डॉक्टरों ने कॉकलियर इंप्लांट कराने की सलाह दी थी. लेकिन पैसों की कमी के कारण ऐसा कराना हमलोगों के मुश्किल था. फिर एक दिन श्रवणश्रुति कार्यक्रम की जानकारी मिली. श्रवणश्रुति कार्यक्रम के तहत मेरे गांव के स्वास्थ्य विभाग द्वारा आंगनबाड़ी केंद्र पर कैंप लगाया गया था जिसमें मेरे बेटे के कानों की जांच हुई.
इसके बाद आगे के इलाज के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा एम्स पटना भेजा गया. बच्चे को लेकर पटना गये और फिर चिकित्सकों द्वारा सर्जरी कर उसे कॉकलियर इंप्लांट किया जा सका. इस काम में जिला स्वास्थ्य समिति की बड़ी मदद मिली. हमारा परिवार जिला स्वास्थ्य समिति का आभारी है जिसकी मदद से कॉकलियर इंप्लांट किया जा जा सका. इसमें आठ लाख रुपये का खर्च आया जो पूरी तरह सरकार द्वारा वहन किया गया. सफल सर्जरी के बाद मेरा बच्चा अब सुन सकता है.” यह कहना है श्रेयांश के पिता विनोद कुमार का विनोद और उनका परिवार इमामगंज प्रखंड के कादरपुर गांव में रहता है.
जिला में ऐसे कई बच्चे हैं जिन्हें श्रवणश्रुति कार्यक्रम की मदद मिल रही है. श्रवणश्रुति कार्यक्रम के तहत गांव—गांव में कैंप लगाकर बच्चों के सुनने की क्षमता की जांच होती है. बधिर बच्चों को इलाज के पटना और कानपुर भेजा जाता है. सभी प्रकार के जांच व इलाज के होने वाला खर्च सरकार द्वारा वहन किया जाता है. ऐसे बच्चों में श्रेयांश जैसे कई बच्चे शामिल हैं जिनका कॉकलियर इंप्लांट किया गया है और आज ये सभी बच्चे सुन सकते हैं.
हमजा शमशाद की उम्र एक साल है. उसका भी कॉकलियर इंप्लांट किया गया है. परैया के कोस्ठा सोलरा गांव के निवासी और हमजा के पिता मोहम्मद शमशाद बताते हैं कि अखबारों के माध्यम से श्रवणश्रुति कार्यक्रम के बारे में जानकारी मिली, जिसमें बताया गया था कि बोधगया प्रखंड में स्वास्थ्य विभाग द्वारा बधिर बच्चों के लिए श्रवणश्रुति कार्यक्रम को लेकर एक कैंप लगाया गया था. इस कैंप में ऐसे बच्चों की जांच की गयी जिनकी सुनने की क्षमता ठीक नहीं थी. इसके बारे में जानकारी के लिए जयप्रकाश नारायण अस्पताल स्थित जिला स्वास्थ्य समिति कार्यालय से संपर्क किया.
डीपीएम ने इस कार्यक्रम की जानकारी दी और जांच प्रारंभ कराने के लिए डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटरवेंशन सेंटर भेजा. यहां डॉक्टरों ने बच्चे का बेरा टेस्ट किया. जांच के बाद बीते जून माह में एम्स पटना भेजा गया. वह बताते हैं कि हमजा सुनने में असक्षम था और आर्थिक स्थिति सही नहीं होने के कारण इलाज में समस्या हो रही थी. लेकिन सरकार द्वारा प्रारंभ इस कार्यक्रम की काफी मदद मिली है. कानों की सर्जरी कर कॉकलियर इंप्लांट में खर्च होने वाला आठ लाख रुपये सरकार द्वारा वहन किया गया. सर्जरी सफल हुई और आज उनका बच्चा सुनने में सक्षम है. वह कहते हैं कि उनका परिवार इसके लिए जिला स्वास्थ्य समिति का काफी आभारी हैं.
ऐसी ही कहानी शुभम कुमार और सन्नी कुमारी की है. टिकारी प्रखंड के अखनपुर गांव के रहने वाले इन बच्चों के पिता पवित्र यादव बताते हैं कि एक दिन अपने गांव में एक कैंप लगाया गया था. पता चला कि यह कैंप सरकार द्वारा श्रवणश्रुति कार्यक्रम के तहत बच्चों के सुनने की क्षमता की जांच के लिए था. तब वह अपने दोनों बच्चों को इस कैंप पर जांच के लिए लाये. जांच के बाद बच्चों को डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटरवेंशन सेंटर भेजा गया.
जहां पर बेरा टेस्ट किया गया. आवागमन के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा 102 एंबुलेंस की सेवा दी गयी. वहां बेरा टेस्ट में पता चला कि बच्चों की सुनने की क्षमता में समस्या है. इसके बाद कानपुर भेजा गया. वहां के डॉ एसएन मल्होत्रा अस्पताल में बच्चों की श्रवण शक्ति सुधारने के लिए हियरिंग एड मशीन दिये गये. इस काम में सरकार द्वारा सभी प्रकार की मेडिकल और आर्थिक सहायता दी गयी.
जिला में अब तक 27 हजार से अधिक बच्चों के कानों की जांच की गयी है. इनमें 144 बच्चे ऐसे मिले हैं जिनकी सुनने की क्षमता प्रभावित हैं. इन बच्चों को आवश्यक इलाज सुविधा दी जा रही है. जिला में पर्मानेंट हियरिंग इंपेयरमेंट से ग्रसित दो बच्चों का कॉकलियर इंप्लांट किया गया. वहीं दो बच्चों को हियरिंग एड मशीन दी गयी है.