NEWSPR डेस्क। सोनपुर कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर लगने वाले बड़े मेले के लिए प्रसिद्ध सोनपुर की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति है. सोनपुर मेले का धार्मिक आस्था से भी गहरा संबंध है. श्री हरिहरनाथ के मंदिर और गज-ग्रह के संघर्ष स्थल और कार्तिक पूर्णिमा गंगा स्नान के कारण भी सोनपुर का विशेष महत्व है. शिव मंदिर, काली मंदिर और अन्य मंदिर और ऐतिहासिक धार्मिक स्थल यहां स्थित हैं. मेला अवधि के दौरान सामाजिक और आर्थिक गतिविधियां चरम पर होती हैं. लोग यहां देवताओं के लिए अपना चढ़ावा चढ़ाने आते हैं. कार्तिक पूर्णिमा के दिन यहां अपार भीड़ इकट्ठा होती है और स्नान करती है. मेला उसी दिन से शुरू होता है और एक पखवाड़े से अधिक समय तक चलता है.
पहले सोनपुर मेले में पशुओं को देखने लोग आते थे, लेकिन अब स्टेज पर नाचती झूमती लड़कियों को देखने आते हैं. हालांकि एक वक्त था जब इन थियेटरों में परिवार के संग लोग आते थे, लेकिन अब यहां सिर्फ लड़कों और बुजुर्गों की टोलियां आपको नजर आएंगी. अलग-अलग राज्यों से बिहार के सोनपुर पहुंची इन लड़कियों के चेहरे पर कुछ और और दिल में कुछ और आपको नजर आएगा. चेहरे पर मुस्कान है और दिल में कई सपने दफन हैं. बावजूद इसके ये लड़कियां स्टेज पर पैसे कमाने के लिए छोटे छोटे कपड़ों में गानों की धुन पर डांस करती हैं क्योंकि इनकी यह मजबूरी है.
कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें हालात के कारण मजबूरी में यह पेशा अपनाना पड़ा. लोग गंदी निगाहों से देखते हैं. जो वीवीआईपी होते हैं वे इन्हें पास से नाचते हुए देखते हैं और कभी-कभी इनके साथ बदतमीजी भी करते हैं. जो लड़की पसंद आ जाए उसे वो नीचे खींच लेते हैं और उनके साथ बदतमीजी करते हैं क्योंकि ऐसा करने के लिए ऐसे लोग पैसे दिए होते हैं. ये लड़कियां न चाहते हुए भी चेहरे पर मुस्कान लिए उनकी बदतमीजी बर्दाश्त करती हैं. दरअसल, इन्हें काम और पैसे, दोनों चाहिए क्योंकि इनको अपना परिवार चलाना है.
लड़कियों को देखने के बंटे हुए हैं रेट
इन डांसर गर्ल्स को देखने के लिए अलग-अलग कटेगरी बांटी गई है. 12 सौ रुपए अगर आप देंगे तो आपको स्टेज पर नाचने वाली लड़कियां सामने से नजर आएंगी. 600 देंगे तो आपको लड़कियां थोड़ी दूर से और लोहे की जंजीर के अंदर नजर आएंगी. 300 देंगे तो वही लड़कियां और दूर से और दो लोहे की जंजीर में आपको नजर आएंगी. यह अलग बात है कि इन पैसों में से इन लड़कियों को कितना पैसा मिलता होगा और कितना नहीं यह किसी को नहीं पता.
कुछ लोग अलग से और पैसे लेकर आते हैं. पैसे देते हैं और अपनी मनमानी करते हैं क्योंकि उनके लिए ये कलाकार नहीं सिर्फ एक जिस्म है. उन्हें कोई मतलब नहीं ये लड़कियां थिएटर आर्टिस्ट हैं और यहां नृत्य करने आई हैं न कि किसी की बदतमीजी बर्दाश्त करने. संचालकों को अपने पैसे से मतलब है और उन्हें पैसे मिलते हैं तो वे सब कुछ होने देते हैं. लेकिन, चेहरे पर मुस्कान लिए लड़कियां लोगों की बदतमीजी बर्दाश्त करती रहती हैं.
डांसर प्रिया को वाहवाही तो अच्छी लगती है; मगर…
सोनपुर मेले में पहुंची प्रिया कहती हैं कि जब वो स्टेज पर नाचती हैं और उसे देख कर लोग जब वाहवाही करते हैं तो अच्छा लगता है. लेकिन, जब कोई उसके साथ बदतमीजी करता है और उसका हाथ पकड़ कर उसे अपनी ओर खींचता है तो वह सोचती है कि बस कैसे भी यहां से भाग जाएं और कभी यहां वापस न आएं. लेकिन, मजबूरी ऐसी कि उसे फिर से यहां आना पड़ता है, रात भर नाचना भी पड़ता है और लोगों की बदतमीजी झेलनी पड़ती है. प्रिया कहती हैं कि वह मॉडल हैं, मॉडलिंग करती हैं और इसके साथ ही साथ स्टेज शो भी करती हैं. लेकिन, लोगों की बदतमीजी के कारण मन करता है कि सब छोड़कर कहीं चली जाए. मगर, घर चलाने की मजबूरी है कि जा नहीं सकती.
अपने सपनों को दबाए दूसरों को खुश करती है रक्षा
प्रिया के अलावा कुछ और लड़कियां हैं जो बचपन में कुछ और बनना चाहती थीं, लेकिन जिंदगी में कुछ ऐसे हादसे हुए कि मजबूरी में आकर उन्हें थिएटर करना पड़ा. आज चेहरे पर मेकअप लगाकर छोटे-छोटे कपड़े पहन कर लोगों का मनोरंजन करने के लिए चेहरे पर मुस्कान लिए अपने अरमानों और सपनों को दबाए इन्हें रात भर नाचना पड़ता है. दिल्ली से सोनपुर पहुंची रक्षा बचपन में टीचर बनना चाहती थीं, लेकिन गरीबी के कारण पढ़ाई पूरी नहीं हो सकी. घर परिवार चलाने की जिम्मेदारी ने इसे थिएटर आर्टिस्ट बना दिया. आज अपने सपनों को दिल के कोने में दबाए यह दूसरों को खुश करने के लिए स्टेज पर पूरी रात डांस करती हैं.
पुलिस बनना चाहती थी काजल पर बन गई डांसर
दिल्ली से सोनपुर पहुंची काजल पुलिस बनना चाहती थी. लेकिन, पिता का देहांत होने के बाद पूरे परिवार का बोझ इससे कंधों पे आ गया. छोटे-छोटे भाई बहन हैं और उनके सपनों को पूरा करना चाहती है, इसलिए अपने सपनों को भूलकर आज यह थिएटर आर्टिस्ट के रूप में जानी जाती है.
नैना नहीं चाहती कि उसके बच्चे थियेटर डांसर बनें
थिएटर आर्टिस्ट के रूप में दो बहनें, नैना और पायल भी सोनपुर पहुंची हैं. नैना छोटी हैं जिसकी उम्र 18 साल है. 13 साल की उम्र से ही वह ट्रॉली डांसर है. नैना कहती है कि ट्रॉली पर डांस करने से अच्छा यहां डांस करना है. पायल की शादी हो गई है. पायल कहती है कि अब वह इस तरीके से नाचना नहीं चाहती क्योंकि गंदे तरीके से लोग उसे देखते हैं. वह कहती है कि जब उसके बच्चे होंगे तो वह थिएटर में नाचना बंद कर देगी और किसी भी कीमत पर अपने बच्चों को थिएटर आर्टिस्ट नहीं बनने देगी.
अपने परिवार को याद कर जार-जार रोती है काजल
सोनपुर मेले में पहुंची काजल बचपन से ही डांसर बनना चाहती थी, लेकिन परिवार को यह बात पसंद नहीं थी. चार भाइयों की इकलौती बहन काजल अपने परिवार में 7 पीढ़ियों के बाद एक लड़की अपने खानदान में पैदा हुई थी. लेकिन, बचपन से ही वह कलाकार बनना चाहती थी. मॉडलिंग करना चाहती थी. यही वजह है कि उस के परिवार ने उसे घर से निकाल दिया. काजल आज अपने परिवार को याद करके रोती है.