मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले का सदर अस्पताल, यह टॉर्च और मोबाइल की रोशनी पर डॉक्टर करते हैं इलाज

Patna Desk

NEWSPR डेस्क। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा का आईएसओ प्रमाणित बिहारशरीफ का सदर अस्पताल विवादो को लेकर आए दिन सुर्खियों में रहता है। एक और जहां स्वास्थ्य मंत्री के निर्देश पर मिशन 60 के तहत व्यवस्था सुधार के नाम पर करोड़ो रुपए पानी के तरह बहाया ज रहा है। वहीं इमरजेंसी और रेडजोन वार्ड में बिजली गुल होने पर बैकअप की कोई व्यवस्था नहीं है। इस कारण मरीजों को मोबइल की रौशनी के सहारे रहना पड़ता है ।

शुक्रवार की देर शाम करीब सवा नौ बजे इस वार्ड की बिजली गुल हो गयी। करीब 15 मिनट तक वार्ड में अंधेरा छाया रहा इस दौरान ड्यूटी में तैनात डॉ संजीव कुमार मोबइल की रौशनी पर इलाज करने का ड्रामा करते रहे। अगर मीडिया कर्मी इस खबर को बनाने पहुंचते हैं तो डॉक्टर अपनी कमियों को छुपाने के लिए मुकदमा दर्ज करने धमकी तक दे देते हैं।

मिशन 60 तहत किया जा रहा काया कल्प :-

मिशन 60 के तहत 9 नवंबर तक स्वास्थ्य व्यवस्था को सुदृढ़ करने का निर्देश स्वास्थ्य मंत्री द्वारा दिया गया था। समय सीमा बीत जाने के बाद भी ओपीडी और वेटिंग जोन के साथ-साथ कई निर्माण अधूरे हैं। निर्माण के कारण इलाज कराने वाले मरीजों को भी इधर से उधर भटकना पड़ता है। निर्माण में करोड़ों रुपए लगाए जा रहे हैं. मगर अति संवेदनशील इमरजेंसी वार्ड और ड्रेसिंग रूम में बिजली गुल होने पर समुचित व्यवस्था नहीं है। हालांकि यहां स्पेशल फीडर से बिजली आपूर्ति की जाती है। वही आपात स्थिति ।के बिजली गुल होने पर की जेनसेट की भी व्यवस्था है। जिस पर हर महीने करीब 2 से 3 लाख रुपए खर्च किए जाते है। मगर बैकल्पि के तौर पर कम खर्च में तात्कालिक इन्वर्टर और बेट्री की व्यवस्था नहीं की गयी।

कई बार हो चुकी है ऐसी घटना :

यह कोई पहला मामला नहीं है इसके पूर्व भी सदर अस्पताल में घंटों बिजली गुल रही थी। यहां तक की डीजल नहीं रहने के कारण एसएनसीयू के 45 मिनट बिजली गुल थी जबकि उस वक्त यहां 7 बच्चे भर्ती थे।

मरीज के परिजन के जगह प्रशिक्षु का लगा रहता है जमावड़ा :-

सिविल सर्जन डॉ अविनाश कुमार सिंह ने स्पष्ट तौर पर चिकित्सकों को हिदायत दे रखी है कि इमरजेंसी वार्ड में मरीज व उनके एक परिजन के अलावा और कोई और भीड़ नहीं लगाएगा। जबकि दूसरी ओर उनके आदेश की अवहेलना करते हुए एक से डेढ़ दर्जन प्रशिक्षु छात्रों का यहां जमावड़ा लगा रहता है।

ओटी वार्ड के जगह सीसीटीवी और प्रशिक्षुओं के सामने ही डॉक्टर महिलाओं और युवतियों का इलाज करने से भी बाज नहीं आते है। यहां भर्ती मरीज के आस पास किसी तरह का पर्दा नहीं है। जिसके कारण सबके सामने ही इलाज किया जाता है। जबकि बर्न या अन्य गंभीर बीमारी से ग्रसित महिला या युवती को भर्ती किया जाता है तो उसके आस पास एक हरे रंग का पर्दा लगा दिया जाता है।

क्या कहते हैं अधिकारी :-

शुक्रवार की देर शाम कुछ मिनट के लिए बिजली गुल होने की सूचना मिली थी। तुरंत जैंसेट से बिजली आपूर्ति की गई प्रबंधक को निर्देश दिया गया है कि व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त कर लें अन्यथा कार्रवाई की जाएगी।

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