NEWSPR डेस्क। बिहार में स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था की स्थिति इस खबर से समझी जा सकती है की जब निरीक्षण के दौरान डीएम के द्वारा बच्चों से पूछे गए आम सवाल जैसे आप किस देश में रहते है, किसी राज्य में रहते है या किस जिला में रहते है का जवाब चौथी और पांचवी कक्षा के विधार्थी तक नही दे पाए। अचंभा तो तब हुआ जब डीएम ने वहां पढ़ा रहे शिक्षकों से कुछ सवाल पूछ बैठे और जिसका जवाब शिक्षक तक नही दे पाए। विद्यालयों की इसी स्थिति देख डीएम ने कार्रवाई की बात कही।
बिहार में शिक्षा वायवस्थ में सुधार को के ले सरकार के द्वारा कई उपाय किए जा रहे है। पर स्कूलों में शैक्षणिक सत्र का क्या हाल इसका ताजा उदाहरण तब देखने को मिला जब डीएम ने मध्य विद्यालय बेनेगीर, उर्दू प्राथमिक विद्यालय चकासिम और उच्च माध्यमिक विद्याय श्रीमतपुर में शैक्षणिक व्यवस्था का जायजा लिया। जहां डीएम एक शिक्षक बन कर पहुंचे और क्लास रूम में बच्चों से आम सवाल पूछे जैसे वे किस देश ने रहते है। किस राज्य में रहते है, या उनके जिले का नाम क्या है। इसमें जो जवाब बच्चो ने दिया वो शिक्षा व्यवस्था का पोल खोलने के लिए काफी था।
जहां बच्चो ने बिहार को देश बताया, भारत की राज्य और जिला के मुफस्सिल को बताया। यहां तक के उर्दू स्कूल में पांचवी क्लास के बच्चे उर्दू में अपना नाम तक नहीं लिख पाए। विडम्बना तो तब हो गई जब बच्चो से डीएम ने पूछा की ग्रह क्या होता है। जिसका जबाब बच्चे तो नही दे पाए पर इस सवाल का जवाब वहां पढ़ा रहे तीन तीन शिक्षकों में से कोई नही दे पाए। जिसके बाद डीएम ने वहीं भरे क्लास में शिक्षकों को क्लास लगाते हुए कुछ गणित के चंद मामुल सवाल गणित में एमएससी किए शिक्षक से पूछ बैठे। पर शिक्षक के द्वारा इन सवालों को ब्लैक बोर्ड पर नही बना पाए।
जिसके बाद खुद डीएम ने चाक लेकर ब्लैकबोर्ड पर फार्मूला काे सुलझाया। यह देखकर वहां मौजूद शिक्षकों की बेचनी बढ़ गई। सभी को फटकार लगाई। यहां तक कि सभी शिक्षकों का दस दिन का वेतन काटने का निर्देश डीईओ को देते हुए कहा की अगर ये शिक्षक अपने में सुधार नहीं लाते तो सभी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें। डीएम ने बताया की शिक्षा व्यवस्था में अभी और सुधार की जरूरत है। सरकार व्यवस्था तो कर रही पर शिक्षक बच्चों के उचित शिक्षा नही दे पा रहे है।