बिहार का गया इन दिनों तिलकुट के सोंधी खुशबू से सराबोर है। चारों ओर तिलकुट कूटने की धम धम की आवाज और तिल भुजने की सोंधी महक से गया शहर का हर इलाका तिलकुट की सोंधी खुशबू से खुशबूदार हो चुका है। नवंबर महीने से लेकर फरवरी के बसंत पंचमी महीने तक गया शहर में तिलकुट का व्यापार परवान पर होता है। बिहार के गया में बनने वाले तिलकुट के स्वादिष्ट लजीज जायका दुश्मनों को भी दोस्त बनने पर मजबूर कर देता है। इतना ही नहीं अगर आपके काम बिगड़ने वाले हैं तो बनाने में तिलकुट की अहम भूमिका होती है। बस , अपने बिगड़े रिश्तो को सुधारने के लिए तिलकुट का उपहार उस व्यक्ति तक पहुंचा दें। जिससे आपका काम बनना है , फिर देखिए गारंटी के साथ आपका बिगड़ा काम भी बन जाएगा। नवंबर से फरवरी तक इन चार महीनों में तिलकुट का व्यापार लगभग 50 करोड रुपए का होता है। तिलकुट का निर्माण करने वाले लालजी प्रसाद , दामोदर प्रसाद , प्रमोद भदानी और रामदास घराना के लोग बताते हैं कि नवंबर से फरवरी तक का महीना , गया के जलवायु में तिलकुट निर्माण के लिए उपयुक्त माना जाता है। इनका मानना है कि गया की जलवायु तिलकुट निर्माण के लिए सर्वोत्तम है। यही वजह है कि गया में निर्मित तिलकुट का स्वाद अन्यत्र उपलब्ध नहीं है। वैसे तो अब तिलकुट का निर्माण गया के अलावे , देश के अन्य राज्यों एवं शहरों में किया जाने लगा है , लेकिन गया की जलवायु में निर्मित तिलकुट का स्वाद निराला होता है। यही वजह है कि गया का तिलकुट सबसे उत्तम माना जाता है। गया में तिलकुट कई प्रकार के बनाए जाते हैं। जैसे खोए का तिलकुट , ड्राई फूड का तिलकुट , गुड़ का तिलकुट , चीनी का तिलकुट के अलावे तिल से कई व्यंजन का निर्माण होता है। जैसे तिलवा , तिल पापड़ी , गजक रेवड़ी मस्का बादाम पट्टी आदि। आयुर्वेद और चिकित्सीय सलाह की माने तो जाड़े के दिनों में तिल का तासीर गर्म होता है। घुटनों या जोड़ों में दर्द ने भी तिल से निर्मित व्यंजन बहुत ही फायदेमंद बताया गया है। चिकित्सक बताते हैं कि मकर संक्रांति पर्व पर सुबह चूड़ा , दही और तिलकुट का सेवन गरिष्ठ भोजन के रूप में माना जाता है। इसलिए शाम को स्वस्थ्य और हल्का भोजन के रूप में खिचड़ी खाना चाहिए। तिलकुट को अब सरकार भी व्यवसाय को उद्योग का दर्जा देने का प्रयास कर रही है। तिलकुट व्यवसाय से जुड़े लोग भी इस उद्योग को पेटेंट करवाने की कोशिश कर रहे हैं। क्योंकि गया में निर्मित तिलकुट का स्वाद अन्य जगहों पर बने तिलकुट से बेहतर माना जाता है। व्यवसाय से जुड़े लोग बताते हैं कि विदेशों में तिलकुट का व्यापार करने के लिए एक्सपोर्ट क्वालिटी का तिल गुजरात के उंझा से आयात किया जाता है इसके अलावा भारत में तिलकुट की मार्केटिंग के लिए उत्तर प्रदेश के कानपुर सेआयात होता है। चीनी का आयात महाराष्ट्र , सहारनपुर , गोरखपुर आदि से भारत के चीनी उत्पादक क्षेत्रों से आयात किया जाता है और बड़े गर्व की बात है कि गुड़ से बनने वाले तिलकुट के लिए गुड़ गया के परैया से गुड़ भारी मात्रा में आयात किया जाता है यहां का गुड़ सबसे बेहतरीन माना जाता है। तिलकुट का निर्माण चीनी को एक तार की चाशनी बनाने के बाद ठंडा कर उसे लट द्वारा बनाया जाता है।
उसके बाद तिल को गर्म कर सोंधा होने तक भुंजा जाता है। अब तिल में चीनी और गुड़ के लट में कूट-कूट कर खस्ता बनाया जाता है। बेहतर तिलकुट निर्माण के लिए चीनी का कम और तिल का ज्यादा उपयोग किया जाता है। इस तरह तिलकुट का निर्माण होता है। इस तरह देखा जाए तो बिहार के गया में बनने वाले इस बेहतरीन स्वादिष्ट व्यंजन तिलकुट से अपने दुश्मनों को भी दोस्त बनाने की कोशिश लोग जरूर करते हैं। जब भी कोई किसी के यहां जाता है तो संदेश के तौर पर गया का तिलकुट जरूर लेकर जाते हैं। अपने साहब को खुश करने में , बिगड़े काम को बनाने में इसकी आम भूमिका मानी जाती है।