अपने हाथों से मवेशी की गोबर उठा रही ये महिला गया की नई डिप्टी मेयर चिंता देवी है, देखकर आपको भी हैरानी हो रही होगी लेकिन हकीकत यही है की चिंता देवी भले ही गया नगर निगम की डिप्टी मेयर बन गई है लेकिन अपने उन कार्यों को वो नही भूली जो वो खुद करते रही है।
आपको बता दें कि चिंता देवी उसी नगर निगम की सफाई कर्मी रही है जिस नगर निगम की वह वर्तमान में उपमहापौर है। झाड़ू लगाने और मैला ढोने वाली महिला चिंता देवी ने बिहार निकाय चुनाव में गया नगर निगम के उपमहापौर के सीट पर जीतकर एक मिशाल कायम की है। चिंता देवी के जीत पर नीति आयोग ने ट्वीट कर उन्हे बधाई दिया इनके जीत को नारी शक्ति की भावना को वसियानाम बताया।
नीति आयोग के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से बीते 11 जानकारी को ट्वीट करते हुए लिखा गया। एक सफाई कर्मचारी से लेकर उप महापौर तक, बिहार के आकांक्षी जिला गया की चिंता देवी की कहानी नारी शक्ति की भावना का एक वसीयतनामा है।
डिप्टी मेयर बनने के बाद भी चिंता देवी के जिंदगी में कुछ बदला नही है। जिस तरह पूर्व में वह अपने घर में गोबर उठाती थी, झाड़ू लगाती थी, बर्तन मांजती थी, आज भी वह जारी है. वहीं, डिप्टी मेयर चिंता देवी की बहू जो कि दैनिक वेतन भोगी सफाई कर्मी हैं, वह आज भी मोहल्ले में झाड़ू लगाने का काम कर रही है.
चिंता देवी बताती हैं, कि लोगों ने कहा कि आपको बहुत कुछ मिलेंगे. गाड़ी की लाइन होगी. किंतु इस पर उन्होंने जनता से कहा कि वह कुछ नहीं चाहती है, वह गाड़ी से घूमने के बजाय खुद जनता के पास जाएगी और मिलेगी. वह कहती हैं, कि हमें यह सब नहीं चाहिए. वह आज भी झाड़ू लगाने या किसी भी काम को करने में शर्मिंदगी महसूस नहीं करती है. उन्हें लगता ही नहीं है, कि वह डिप्टी मेयर बनी है. ऑफिस बनाने के बजाय जनता के दरबार में ही जाना पसंद करती है.
जीत की सफर के बाबत कहती है, कि वह चुनाव बहुत ही सहज तरीके से लड़ रही थी. विश्वास था, कि उसकी छवि को लेकर जनता वोट करेगी. यह सही भी साबित हुआ और वह डिप्टी मेयर बनी है. डिप्टी मेयर के पद का अहम उनके पास नहीं है. बताती है कि उसे चुनाव जीतने के लिए थोड़े कर्ज लेने पड़े, तब जाकर चुनाव प्रचार की सामग्री का जुटान हो पाया. कई और लोगों ने भी मदद की. वह जीत गई है तो लोगों की भलाई कर रही है. चिंता देवी कहती है की गया नगर निगम क्षेत्र का ऐसा विकास करूंगी की गया के लोग हमेशा याद रखेंगे।