मुंगेर सदर अस्पताल का अमनवीय चेहरा आया सामने । जहां मौत के बाद लावारिश शव को बरामदे के जमीन पर ही एसे ही छोड़ दिया गया । यहां तक की रात्रि में मौत के बाद कार्यरत स्टाफ के द्वारा शव को एक चादर भी नही ओढ़ाया गया । यहां तक की कुत्ते भी उन शव तक आसानी से पहुंच पा रहे है। इस मामले में डीएस ने बताया की दो अज्ञात शव अस्पताल में पड़े है जिसको ले पुलिस को खबर कर दी गई है । और 72 घंटे तक उसे प्रिजर्व करने को ले कहा गया है ।
कहते हैं कि लोग अपनी गलतियों से ही सीखता हैं पर मुंगेर सदर अस्पताल के साथ यह कहावत बिल्कुल फिट नहीं बैठता यहां पर जब गलतियां हो जाती है तो उसे पुनः सुधारने की जगह उसे दोहराया जाता है । दरअसल मुंगेर सदर अस्पताल के पुरुष वार्ड में दो अज्ञात लोगों की इलाज के दौरान मौत हो गई पर शायद सदर अस्पताल के कर्मियों तथा अधिकारियों की मानवीय संवेदना भी मर गई । कर्मियों ने इतना भी कष्ट नहीं उठाया की उस अज्ञात शव वार्ड से हटा किसी अन्य जगह शिफ्ट किया जाए। विडंबना तो यह है कि एक दूसरा अज्ञात शव को बेड तक नसीब नही हुआ अज्ञात शव बरामदे के जमीन पर यूं ही लावारिस अवस्था में पड़ा है मौत के बाद कर्मियों ने शव को एक चादर तक नहीं ओढ़ाया जिस कारण शव के जमीन में पड़े रहने के कारण चींटी लग गई तो वहीं शव के आस पास आवारा कुत्ता भी घूमते नजर आए । हम बताते चले की कुछ दिन पूर्व सदर अस्पताल के पोस्टमार्टम हाउस में रखे एक शव को कुत्तों के द्वारा नोच खाया गया था। जिसको ले काफी हंगामा भी हुआ ।
जिसे देखते हुए भी सदर अस्पताल ने सिख नही लिया । वहीं इस मामले में जब सदर अस्पताल के डीएस डॉ रमण कुमार ने बताया की सदर अस्पताल में दो अज्ञात मरीज आया जिसका इलाज के क्रम में एक की रात में तो दूसरे की सुबह में मौत हो गई। जिसको ले कोतवाली थाना को सूचना देते हुए कर्मियों निर्देश देते हुए शवों को सम्मान देते हुए उसे 72 घंटे तक के लिए सुरक्षित रखावा दिया गया है। ताकि कोई मृतक के परिजन आए तो उसे शव को सौंपा जा सके । पर सवाल यह क्या सदर अस्पताल में लावारिश लाशों के प्रति कोई संवेदना नही ।