पूर्वी चम्पारण जिले के मोतिहारी के शहर के बीचों बीच मोतीझील का लाइफलाइन है लेकिन आज मोतीझील अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। मोतीझील जैसे प्राकृतिक सम्पदा के संरक्षण और अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए कुमार अमित, अधिवक्ता उच्च न्यायालय, जो मोतिहारी के ही निवासी है, ने माननीय उच्च न्यायालय पटना में एक जनहित याचिका 04 मार्च 2022 को दायर की थी. इस जनहित याचिका द्वारा मोतीझील के प्राकृतिक प्रवाह पर जो अतिक्रमण किया गया है तथा शहर भर का नाला का अनट्रीटेड पानी तथा प्राइवेट नर्सिंग होम का मेडिकल कचरा झील में गिराया जाता है एवं झील में बढ़ते गाद की ओर माननीय न्यायालय का ध्यान आकृष्ट कराया गया था. इसमें भारत सरकार एवं बिहार राज्य सरकार के नगर विकास, जल संसाधन, वन विभाग इत्यादि को वादी बनाया गया है।
उक्त मामलें को गम्भीरता से संज्ञान में लेते हुए माननीय न्यायालय द्वारा इस जनहित याचिका पर दिनांक 05.05.2023 को माननीय उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के खंडपीठ द्वारा मोतीझील के उत्थान, जीर्णोद्धार, संरक्षण तथा अतिक्रमण मुक्त कराने हेतु प्रभावकारी आदेश पारित किया गया है। मसलन, माननीय न्यायालय द्वारा जिला पदाधिकारी द्वारा शपथ पत्र के माध्यम से लिए गए उपक्रम/ undertaking को अभिलिखित किया गया और इनका उचित अनुपालन की बात कही है। मुख्य सचिव , बिहार को निर्देशित किया गया कि ज़िलापदाधिकारी द्वारा समर्पित उपक्रम के अनुरूप मोतीझील के पुनरुत्थान तथा परियोजना पूरा होने की निगरानी के लिए एक पदाधिकारी को प्राधिकृत करें. मुख्य सचिव एक पदाधिकारी को प्राधिकृत करेंगे जो पुनरुत्थान कार्य को स्वयं अच्छी तरह निगरानी करेंगे और ऐसे प्राधिकृत पदाधिकारी हर तीन माह पर प्रगति प्रतिवेदन मुख्य सचिव को समर्पित करेंगे।
आज एक प्रेस कांफ्रेंस में कुमार अमित ने बताया कि 19 मई 2023 को वे राज्य के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी से मिल कर उन्हें न्यायदेश की प्रति हस्तगत कराया और विषय को गंभीरता से लेते हुए उन्होंने आश्वस्त किया है कि न्यायालय के आदेश के आलोक में ठोस कदम उठाये जाएँगे और तत्क्षण उन्होंने राज्य के एक वरीय पदाधिकारी को मॉनिटरिंग के लिए नामित करने का निर्देश निर्गत किया। साथ ही कुमार अमित ने इस मसले पर मोतिहारी के ज़िलापदाधिकारी श्री सौरव जोरवाल से भी मुलाक़ात की जिन्होंने मोतीझील पर माननीय न्यायालय द्वारा पारित आदेश पर अपेक्षित कारवाई करने का आश्वासन दिया।