जब बाढ़ को पारकर अपनी दूल्हनिया को लाने गाजे-बाजे-बरातियों के साथ पहुंचा दुल्हा, फिर क्या हुआ….

Sanjeev Shrivastava

पटना : बिहार में हरेक साल बाढ़ से दो-चार करने वाले इसके साथ जीने की कला भी बखूबी जानते हैं। यहां के लोग बाढ़ में भी अपनी खुशियां मनाने में पीछे नहीं होता हैं। जिसका जिता जागता नमूना समस्तीपुर में देखने को मिला। समस्तीपुर और मुजफ्फरपुर के बीच सकरा प्रखंड में अपनी दुल्हन को लाने की बेताबी में दूल्हे ने बाढ़ की भी परवाह नहीं की। बाढ़ के पानी को पारकर बाजे-बाराती संग ब्याह रचाने पहुंच गया। इस अनोखी शादी के साक्षी बनने के लिए ग्रामीणों का हुजूम प्रखंड कार्यालय गेट के सामने सबहा से जहांगीरपुर जानेवाली सड़क पर जुट गया।

नाव से पानी पार करता दुल्हा

आपको बता दें कि यह अनोखी शादी के लिए बारात समस्तीपुर के ताजपुर थाने के मूसापुर गांव से सकरा के भठंडी गांव आई थी। मूसापुर के मो. एकबाल के पुत्र मो. हसन रजा और सकरा के भठंडी गांव के मरहूम मो. शहीद की पुत्री माजदा खातून का निकाह तय था। इस बीच मुरौल के महमदपुर कोठी में तिरहुत नहर का बांध टूटने से गांव बाढ़ में घिर गया। निकाह की तारीख बदलने पर दोनों पक्षों ने विचार-विमर्श किया, लेकिन बात नहीं बनी और निकाह तय तारीख पर ही करने की ठान ली गई। चारों तरफ बाढ़ के पानी से घिरे भठंडी गांव में शादी की तैयारी में टेंट के लिए सामान कई बार लाए और लौटाए गए। बारात आने से पहले लोगों ने स्थिति का मुआयना किया। फिर दुल्हन के घर तक जाने में आ रही दिक्कतों के बारे में बताया, लेकिन लड़का पक्ष की जिद के आगे लड़की वालों को झुकना पड़ा।

दूल्हे की गाड़ी भठंडी गांव की सीमा पर पहुंची। पहले तो पानी देखकर दूल्हे व बाराती ठिठक गए, लेकिन फिर दूल्हे ने अपनी गाड़ी को छोड़ दिया और बारातियों संग बाढ़ को पारकर दुल्हन के घर पहुंचा। कई जगह घुटने से भी ऊपर पानी था। इस दौरान स्थानीय युवकों ने दूल्हे और बारातियों को सुरक्षित ले जाने में मदद की। इसके बाद पूरे रस्मों-रिवाज के साथ निकाह हुआ। फिर विदाई भी हुई। इस शादी की इलाके में खूब चर्चा रही।

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