अस्थावां-बिहारशरीफ रेलखंड पर ट्रैन परिचालन को लेकर सीआरएस कमिश्नर ऑफ रेल सेफ्टी के अधिकारियों ने की जांच होगी। जांच में सही पाए जाने की हरी झंडी मिलने पर रेलगाड़ियां चलाने की अनुमति मिल जाएगी। 23 अप्रैल को इसपर रेल परिचालन का ट्रायल रन किया गया था। डिप्टी चीफ इंजीनियर शिव कुमार प्रसाद ने बताया कि बरबीघा में जमीन विवाद के कारण बिहारशरीफ-शेखपुरा रेलखंड को चालू करने में बाधा उत्पन्न हो रही है। इस कारण, फिलहाल अस्थावां तक रेल परिचालन शुरू किया जाना है। नई पटरी बिछाने के बाद 23 अप्रैल को ‘20 आरपी’ (20 रेल पैनल) ढोने वाली रेलगाड़ी चलाकर इसका ट्रायल किया गया था। लेकिन, पैसेंजर ट्रेनें चलाने के पहले सीआरएस (कमिश्नर ऑफ रेल सेफ्टी) की जांच अति आवश्यक है। उनके द्वारा हरी झंडी मिलने के बाद पैसेंजर ट्रेन चलने के काबिल रेलखंड को माना जाएगा।
बिहारशरीफ-शेखपुरा रेलखंड के निर्माण पर 1,473 करोड़ रुपये खर्च होने हैं। अस्थावां से बिहारशरीफ के बीच 36 छोटे तो चार बड़े पुलों का निर्माण किया गया है। बिहारशरीफ से अस्थावां के दूरी 13 किलोमीटर है। पांच स्थानों पर 38 लाख रुपये से क्रॉसिंग लाइन बनायी गयी है। इस रेललाइन के निर्माण की नींव तत्कालीन रेल मंत्री नीतीश कुमार ने साल 2003 में शेखपुरा स्टेशन पर ही रखी थी। नेउरा से शेखपुरा रेलखंड की कुल लागत 2721 करोड़ है।