मोटे अनाज फसलों के उत्पादन व प्रसंस्करण विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित।

Patna Desk

मोटे अनाज फसलों के उत्पादन व प्रसंस्करण विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजि

कृषि विज्ञान केंद्र बिक्रमगंज के द्वारा गुरुवार को मोटे अनाज फसलों के उत्पादन एवं प्रसंस्करण विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया । कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए प्रोफेसर एवं प्रधान डॉ शोभारानी ने कहा कि कृषि क्षेत्र में आधुनिकीकरण और मशीनीकृत कृषि के कारण अधिक उपज वाले बीज आ गए है। जिसके बाद लोगों का रुझान चावल और गेहूं के उत्पादन के प्रति बढ़ गया है तथा परिणामस्वरूप मोटे अनाज की खपत और खेती दोनों सीमित हो गई है। परंतु वर्तमान समय और बदलती जलवायु परिस्थितियों के मद्देनजर किसानों को मोटे अनाजों का उत्पादन करने की जरूरत है। मोटे अनाज की फसल में अन्य सामान फसल की तुलना में कम जल और कृषि साधनों की जरूरत होती है। इन अनाजों में प्रमुख रूप से मडवा, चीना पुटकी, बाजरा, कोदो सावां एवं कंगनी इत्यादि फसलें आती हैं। इन्हें न्यूट्री- सीरियल्स के रूप में जाना जाता है। क्योंकि ये मानव शरीर के लिए आवश्यक अधिकांश पोषक तत्व प्रदान करते हैं। जबकि मोटे अनाज में कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) होता है और यह मधुमेह की रोकथाम में भी मददगार होते हैं। ये आयरन, जिंक और कैल्शियम जैसे खनिजों का अच्छा स्रोत हैं। मोटे अनाज वजन कम करने और उच्च रक्तचाप में मददगार होते हैं। कार्यक्रम में उपस्थित डॉक्टर रामाकांत सिंह ने मोटे अनाजों की खेती की जानकारी उपस्थित महिला कृषकों को प्रदान की। उन्होंने बताया की सभी तरह के मोटे अनाजों की खेती रोहतास जिले में की जा सकती है , विशेषकर डेहरी, तिलौथू, रोहतास, चेनारी इत्यादि प्रखंडों में इसकी खेती व्यापक पैमाने पर संभव है। जिले में कुछ किसान इसकी खेती कर अच्छी आमदनी प्राप्त कर रहे हैं। आमतौर पर मोटे अनाज गेहूं एवं चावल से अधिक कीमत पर बाजार में बिकते हैं। वहीं मत्स्य वैज्ञानिक डॉ आर के जलज ने बताया कि बदलते जलवायु में पानी की कमी के कारण मोटे अनाज वर्गीय फसल को उपजाना ज्यादा अच्छा है और इसको खाने में प्रयोग करना स्वास्थ्य के लिए भी बेहद अनुकूल है। आजकल मोटे अनाज के आटे द्वारा बिस्कुट, लड्डू , केक एवं चॉकलेट इत्यादि बनाकर बाजार में बेचे जा रहे हैं। डॉ रतन कुमार ने कृषकों को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार द्वारा वर्तमान में पोषण सुरक्षा हेतु इन अनाजों का बढ़ावा दिया जा रहा है। मिड डे मील एवं सार्वजनिक वितरण प्रणाली योजना में इन अनाजों को शामिल कर उपलब्ध कराया जा रहा है। जीविका कोऑर्डिनेटर प्रियदर्शनी की अगुवाई में सूर्यपुरा, धनगाई, मानी, तिलई इत्यादि ग्रामों से कुल 40 महिला प्रशिक्षणार्थी शामिल हुए। महिला किसानों में मीना देवी, नेहा कुमारी, माया देवी, उषा देवी, रेखा देवी, सिंकी कुमारी, रितु कुमारी, खुशबू कुमारी, दमयंती देवी, धर्मशिला कुमारी , हरेंद्र कुमार, सुबेश कुमार, प्रवीण कुमार, अभिषेक कुमार, राकेश कुमार इत्यादि उपस्थित थे।

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