पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद साहब के जन्मदिन के मौके पर नालंदा ज़िले के विभिन्न इलाकों में धूम धाम से जुलूस ए मोहम्मदी निकाला गया. वहीं, मुख्यालय बिहारशरीफ में बीते दिनों हुए धार्मिक उन्माद की वजह से मुस्लिम समुदाय के लोगों ने अमन शांति क़ायम रहे इसके लिए जुलूस निकालने से इंकार किया. लेकिन मुल्क में अमन शांति व आपसी भाईचारे के साथ खुद की तरक्की अपने घरों व मस्जिदों में इबादत कर रहे हैं. ‘ईद-मिलाद-उन-नबी की माफिल सजी. जहां उनके जीवनी के बताया जा रहा है. वहीं, शहर के विभिन्न चौक चौराहे पर पुलिस बल की तैनाती की गई है. इस मौके पर नूरुद्दीन असदक ने अपनी तकरीर में बताया कि पैगंबर मोहम्मद साहब के आने से दुनिया में काफी बुराइयां खत्म हुई, लोगों में तालीम बढ़ी, मानव समाज में खुशनुदी देखने को मिली. उन्होंने प्यार, आपसी भाईचारे व शांति का संदेश इस दुनिया को दिए थे. आज भी मुस्लिम समुदाय के लोग उनके बताए हुए रास्ते और उनकी सुन्नत पर अमल कर कामयाब हो रहे हैं. आपको बता दें कि इस्लामिक कैलेंडर के तीसरे महीने रबी अल-अव्वल की 12वीं तारीख, 571 ईं. के दिन पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब का जन्म हुआ था. ईद-ए-मिलाद-उन-नबी को मुसलमान बेहद खुशी के साथ मनाते हैं. इस दिन रातभर इबादत, दुआओं का सिलसिला रहता है और जुलूस निकाले जाते हैं. जाहिर है कि पैगंबर हजरत मोहम्मद पूरी दुनिया में बसे मुसलमानों के लिए श्रद्घा का केंद्र हैं. इस दिन को ही ईद मिलाद-उन-नबी या फिर बारावफात कहा जाता है. मुस्लिम अपने पैगंबर के पवित्र वचनों को पढते हैं और इन पर अमल करने का अहद करते हैं।
एंकर:पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद साहब के जन्मदिन के मौके पर नालंदा ज़िले के विभिन्न इलाकों में धूम धाम से जुलूस ए मोहम्मदी निकाला गया. वहीं, मुख्यालय बिहारशरीफ में बीते दिनों हुए धार्मिक उन्माद की वजह से मुस्लिम समुदाय के लोगों ने अमन शांति क़ायम रहे इसके लिए जुलूस निकालने से इंकार किया. लेकिन मुल्क में अमन शांति व आपसी भाईचारे के साथ खुद की तरक्की अपने घरों व मस्जिदों में इबादत कर रहे हैं. ‘ईद-मिलाद-उन-नबी की माफिल सजी. जहां उनके जीवनी के बताया जा रहा है. वहीं, शहर के विभिन्न चौक चौराहे पर पुलिस बल की तैनाती की गई है. इस मौके पर नूरुद्दीन असदक ने अपनी तकरीर में बताया कि पैगंबर मोहम्मद साहब के आने से दुनिया में काफी बुराइयां खत्म हुई, लोगों में तालीम बढ़ी, मानव समाज में खुशनुदी देखने को मिली. उन्होंने प्यार, आपसी भाईचारे व शांति का संदेश इस दुनिया को दिए थे. आज भी मुस्लिम समुदाय के लोग उनके बताए हुए रास्ते और उनकी सुन्नत पर अमल कर कामयाब हो रहे हैं. आपको बता दें कि इस्लामिक कैलेंडर के तीसरे महीने रबी अल-अव्वल की 12वीं तारीख, 571 ईं. के दिन पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब का जन्म हुआ था. ईद-ए-मिलाद-उन-नबी को मुसलमान बेहद खुशी के साथ मनाते हैं. इस दिन रातभर इबादत, दुआओं का सिलसिला रहता है और जुलूस निकाले जाते हैं. जाहिर है कि पैगंबर हजरत मोहम्मद पूरी दुनिया में बसे मुसलमानों के लिए श्रद्घा का केंद्र हैं. इस दिन को ही ईद मिलाद-उन-नबी या फिर बारावफात कहा जाता है. मुस्लिम अपने पैगंबर के पवित्र वचनों को पढते हैं और इन पर अमल करने का अहद करते हैं।