मुंगेर जिले में आए दिन सड़क दुर्घटना में लोग घायल होते हैं। दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल लोगों को त्वरित उपचार की जरूरत होती है, नहीं तो घायल की जान भी जा सकती है। इसको लेकर एनएच या बाइपास के किनारे अथवा सदर अस्पताल में आपात स्थिति में घायलों के इलाज के लिए अलग से ट्रामा सेंटर बनाए जाने का प्रावधान है। जहां विशेषज्ञ सर्जन डाक्टर की ड्यूटी लगाई जाती है। ताकि समय पर घायल मरीज का उपचार हो सके। लेकिन सदर अस्पताल में आज तक ट्रामा सेंटर नहीं बन पाया है। ट्रामा सेंटर और सर्जन चिकित्सक नहीं रहने के कारण सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल मरीजों को सदर अस्पताल में प्राथमिक उपचार के बाद रेफर कर दिया जाता है। ट्रामा सेंटर में दुर्घटनाग्रस्त मरीज को उचित चिकित्सा की सुविधा प्रदान की जाती है, ताकि दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हुए मरीज की जान बचाई जा सके। इसके लिए सदर अस्पताल के अंदर अलग से ट्रामा वार्ड होता है। ट्रामा सेंटर में ऐसे सर्जन डाक्टर होते हैं जो सर्जरी में विशेषज्ञता हासिल किए हो। ताकि दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल मरीज आपात स्थिति में जब सदर अस्पताल पहुंचे तो ऐसे मरीज का ट्रामा सेंटर में उचित उपचार हो सके और आवश्यकता होने पर वैसे मरीज का सफलता पूर्वक सर्जन चिकित्सक द्वारा ऑपरेशन भी किया जा सके। लेकिन ट्रामा सेंटर नहीं रहने और विशेषज्ञ सर्जन चिकित्सक नहीं रहने के कारण दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल मरीजों को पटना या भागलपुर रेफर कर दिया जाता है। ऐसे में समय पर उचित इलाज नहीं हो पाने के कारण कई बार मरीज की जान तक चली जाती है। वहीं प्रभारी सीएस डॉ अखिलेश ने बताया की शीघ्र ही सौ बेड का मॉडल अस्पताल बनकर तैयार हो जाएगा। जिसमें ट्रामा सेंटर का प्रबंध किया गया है। तब तक विशेषज्ञ सर्जन चिकित्सक भी आ जाएंगे। मॉडल अस्पताल तैयार हो जाने और विशेषज्ञ सर्जन चिकित्सक आने के बाद ट्रामा के मरीज रेफर नहीं होंगे। ट्रामा सेंटर में ही उनका उपचार होगा।