परमपूज्य त्रिकालदर्शी संतश्रीदेवराहाशिवनाथदासजी महाराज के सान्निध्य में आज कोईलवर प्रखंड के गीधा में सूर्य मंदिर प्राण प्रतिष्ठा को लेकर भव्य शोभायात्रा हाथी, घोड़े गाड़ी गाजा बाजा के साथ निकाली गई। वहीं इस भव्य शोभायात्रा में लगभग हजारों की तादाद में महिलाएं-पुरुष और बच्चे अपने माथे पर कलश धारण कर शामिल हुए।यह भव्य शोभायात्रा लगभग आठ किलोमीटर लंबी थी।यह भव्य शोभायात्रा गीधा से शुरू होकर कुल्हरिया,सकड्डी,फोर लाईन होते हुए कोईलवर के सोन नदी से जल लिया गया। इसके पश्चात यह भव्य शोभायात्रा कोईलवर के सोन नदी से सकड्डी, कुल्हरिया होते हुए पुनः गीधा यज्ञस्थली पहुंचकर विशाल जनसमूह में परिणत हो गई।इस विशाल जनसमूह को संबोधित करते हुए संतश्रीदेवराहाशिवनाथदासजी महाराज ने कहा कि संत के सान्निध्य मात्र से जीव के कुविचार का अंत हो जाता है।संतश्रीदेवराहाशिवनाथदासजी महाराज ने कहा कि जैसे ओस को सूर्य का प्रकाश मिटा देता है वैसे ही संत के सान्निध्य से कुविचार का अंत हो जाता है।
सठ सुधरहिं सतसंगति पाई। पारस परस कुधात सुहाई।बिधि बस सुजन कुसंगत परहीं। फनि मनि सम निज गुन अनुसरहीं।दुष्ट भी सत्संगति पाकर सुधर जाते हैं, जैसे पारस के स्पर्श से लोहा सुहावना हो जाता है (सुंदर सोना बन जाता है), किन्तु दैवयोग से यदि कभी सज्जन कुसंगति में पड़ जाते हैं, तो वे वहाँ भी साँप की मणि के समान अपने गुणों का ही अनुसरण करते हैं। (अर्थात् जिस प्रकार साँप का संसर्ग पाकर भी मणि उसके विष को ग्रहण नहीं करती तथा अपने सहज गुण प्रकाश को नहीं छोड़ती, उसी प्रकार साधु पुरुष दुष्टों के संग में रहकर भी दूसरों को प्रकाश ही देते हैं, दुष्टों का उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। वहीं इस कार्यक्रम को सफल बनाने में समस्त ग्रामीणवासी लगे हुए हैं।