जेडीयू के MLC रणवीर नंदन ने किया बड़ा फर्जीवाड़ा! जाने पूरा मामला…

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पटनाः जेडीयू के MLC रणवीर नंदन राजनीतिक जगत के जाने माने नेता हैं। सीएम नीतीश कुमार के करीबी भी बताए जाते हैं। बिहार में सत्ताधारी दल जदयू के MLC रणवीर नंदन पर बड़ा गम्भीर आरोप लगा है। दरअसल कुछ पेपर सामने आए हैं। जिसके जरिए ये बताया गया है कि MLC रणवीर नंदन पटना विश्वविद्यालय में कैसे नियुक्ति हुए। फिर कैसे शॉर्टटर्म प्रोजेक्ट के लिए शोध पदाधिकारी के पद पर उनकी नियुक्त हुई।


इस कागजादों में ये बताया गया है कि सत्ताधारी दल जदयू के MLC रणवीर नंदन ने अपनी सियासी पहुंच का फायदा उठाकर एसोसिएट प्रोफेसर के तौर पर पटना विश्वविद्यालय से प्रमोशन लिया। लेकिन विश्वविद्यालय के कुछ अन्य प्रोफेसरों ने इस प्रोमोशन को पटना हाईकोर्ट में चुनौती दी।


बता दें आपको कि रणबीर नंदन छात्र जदयू के प्रभारी हैं। जिन पर बेहद गंभीर आरोप लगे हैं। खुलासा करने वाले शख्स ने स्पष्ट बताया है कि एमएलसी ने ना केवल पटना विश्वविद्यालय प्रशासन में अपने दल और सरकार को भ्रम में रखकर जालसाजी की बल्कि गलत डॉक्यूमेंट देकर विधान पार्षद भी बने।


खुलासे के मुताबिक रणबीर नंदन का पटना विश्वविद्यालय से जुड़ाव सर्वप्रथम 24 मार्च 1988 को B N कॉलेज में एक शॉर्टटर्म प्रोजेक्ट के लिए शोध के लिए नियुक्ति हुई थी। फिर 06.09.2013 को पटना विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर प्रोमोशन मिला। लेकिन इसको लेकर पटना विश्वविद्यालय के कुछ प्रोफेसरों ने इस प्रोमोशन को पटना हाईकोर्ट में चैलेंज किया और एक्सपर्ट की कमिटी ने MLC रणवीर नंदन को प्रोमोशन नहीं देने की अनुशंसा की थी।

जिसके बाद रणबीर नंदन जब ये केस हार गए तो पटना विश्वविद्यालय ने पटना उच्च न्यायालय के केस CWJC no 18733/2013 के निर्णय के आलोक में प्रोन्नति को निरस्त करके पुनः मूल पद (शोध अधिकारी) पर बने रहने के लिए आदेश निर्गत किया था।


बताया जा रहा है कि इसके बाद UGC की गाइडलाइन के अनुसार शोध-पत्र एवं अनुभवहीनता के कारण उनका डिमोशन कर दिया गया। इसके बाद उन्हें नॉन-टीचिंग स्टाफ बनाया गया। वर्तमान में इनका सर्विस भी ब्रेक हो गयी है। शॉर्ट टर्म प्रोजेक्ट के लिए शोध पदाधिकारी के लिए नियुक्ति हुई थी। शॉर्ट टर्म प्रोजेक्ट के लिए शोध पदाधिकारी के लिए नियुक्ति हुई थी। वहीं इस खुलासे के बाद इस फर्जीवाड़े की जांच की मांग की जा रही है।

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