NEWS PR PATNA- पल्लवी राज कंस्ट्रक्शन के सीएमडी संजीव श्रीवास्तव ने वरिष्ठ पत्रकार सह लेखक मुरली मनोहर श्रीवास्तव को जन्मदिन पर बधाई देते हुए कहा हर पल चेहरे पर मुस्कान, रोते को भी हंसा देनेवाले चर्चित लेखक,रंगकर्मी मुरली मनोहर श्रीवास्तव जी। आपने कई पुस्तकों की रचना की है।
सामाजिक और राजनीतिक रूप से समृद्ध आप बड़े भाई हैं इस पर मुझे फक्र है। आपकी कार्यशैली मुझे बहुत प्रभावित करती है। आप निश्छल, ईमानदार हर किसी के साथ निभाने वाले व्यक्तित्व हैं।
पत्रकारिता जगत में हर पल नए आयाम गढ़ने वाले मुरली मनोहर श्रीवास्तव पढ़ाई में इतना रम गए कि डबल एम.ए. तक की पढ़ाई करने के साथ शोध करना नहीं छोड़ा। यही वजह है कि कई पुस्तकों की रचना कर डाली।
हालांकि क्या कहेंगे मुरली का दर्द ने कभी पीछा नहीं छोड़ा। दर-दर नौकरी की तलाश में जा पहुंचे पटना। यहां कई अखबारों में बहुत कम पैसे पर काम किया। प्रिय तो सबके बने रहे लेकिन कई बार हाशिए पर रह गए। फिर भी इन्होंने हिम्मत नहीं हारी और आगे चलते रहे।
अखबार की दुनिया से बाहर निकलकर चैनल की दुनिया में कदम रखा। स्ट्रगल ने पीछा नहीं छोड़ा। कई रात भूखे सोना, बासी गंध देते चावल और सूखी रोटी तक खाकर चैनल में काम करते रहे, लेकिन किसी को इसका एहसास नहीं होने दिया।
सुबह में पहुंचना और देर रात तक ऑफिस में बने रहना इसके पीछे भी वजह थी कि कंप्यूटर और इंटरनेट मिल जाए तो कुछ काम किया जा सकता है। इसलिए ये अपना बहुत समय दिया करते थे और ऑफिस में काम ने इनको इतना प्रिय बना दिया की सबके चहेते बन गए।
अलग से कमायी करने के लिए कई कॉलेजों में इन्होंने पत्रकारिता विभाग में क्लास लेना शुरु किया। इसी बीच वर्ष 2014 में हर्ट प्रॉब्लम से पढ़ाने के पेशा को बॉय-बॉय करना पड़ा।
इन्होंने कभी हार नहीं मानी और खुद को स्थापित करने के लिए जो नवीं क्लास में पढ़ाई के दरम्यान पुस्तक ‘शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्लाह खां’ लिखी थी, जिसको दिल्ली के सारे प्रकाशन नकार दिए थे उसी को 2008 में प्रभात प्रकाशन ने प्रकाशित कर अंधेरे की जिंदगी जीने वाले मुरली मनोहर श्रीवास्तव को लाइम लाइट में ला दिया और एक उम्दा लेखक बना दिया।
लेखनी चलती रही, कई पुस्तकें एक के बाद एक आयीं। लाख मुश्किलों के बाद भी श्री मुरली ने अपनी लेखनी को कभी कुंद पड़ने नहीं दिया। कई लोग उपहास उड़ाते रहे मगर इस पर कभी ध्यान नहीं दिया। हिंदुस्तान की खुबसूरती है गंगा-जमनी तहजीब, उसी पर काम करने को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहते हैं तो छठ, नवरात्रि के अलावे पिछले ढाई दशक से रमजान के महीने में रोजा भी रखते हैं। जब भी इनसे बात की जाए बस इतना ही कहते हैं-
मजहब नहीं सीखाता, आपस में बैर रखना, हिंदी हैं हम वतन हैं हिंदुस्तां हमारा….और आज की तारीख में कई पुस्तकों की शोधपरक रचना करने की वजह से देश-दुनिया में चर्चित तो है ही कुरान जैसी धार्मिक पुस्तक का दुनिया में पहली बार भोजपुरी अनुवाद करने का बीड़ा भी इन्होंने उठाया है।
1857 ग़दर के महानायक वीर कुंवर सिंह की प्रेमकथा 2023 में लिखे जबकि 2017 में गजल की पुस्तक जज्बात प्रकाशित हुई थी। वहीं कोरोनाकाल के दौरान संजीव श्रीवास्तव और मुरली मनोहर श्रीवास्तव ने संयुक्त रूप से “लॉकडाउन” पुस्तक की रचना की जो बहुत जल्द मार्केट में आ जायेगा।