प्रयागराज की पवित्र भूमि पर 13 जनवरी से प्रारंभ हुआ महाकुम्भ 2025 ने बुधवार को महाशिवरात्रि के अंतिम स्नान पर्व पर एक अभूतपूर्व कीर्तिमान स्थापित किया। इस दिन 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में पवित्र स्नान किया, जिससे यह ऐतिहासिक समागम और भी विशेष बन गया। महाशिवरात्रि के दिन सुबह 8 बजे तक लाखों भक्तों ने इस दिव्य स्नान में हिस्सा लिया और महाकुम्भ की सफलता को इतिहास में दर्ज किया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का अभिवादन-
महाकुम्भ के समापन पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी श्रद्धालुओं और कल्पवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं दीं। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में आयोजित मानवता का महायज्ञ, आस्था, एकता और समता का महापर्व महाकुम्भ, प्रयागराज आज महाशिवरात्रि के पवित्र स्नान के साथ अपनी पूर्णाहुति की ओर बढ़ रहा है।” उन्होंने यह भी लिखा, “13 जनवरी से शुरू हुआ महाकुम्भ, आज 26 फरवरी तक 45 दिनों में 66 करोड़ 21 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में स्नान का पुण्य लाभ लिया। यह एक अभूतपूर्व और अविस्मरणीय रिकॉर्ड है, जो विश्व इतिहास में अद्वितीय है।”
धार्मिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक-
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा, “यह महाकुम्भ, पूज्य अखाड़ों, साधु-संतों, महामंडलेश्वर और धर्माचार्यों के आशीर्वाद का परिणाम है। इस महासमागम ने समरसता, एकता और सांस्कृतिक धरोहर का संदेश पूरी दुनिया तक पहुँचाया।”विश्व के सबसे बड़े धार्मिक समागम का उदाहरणमहाकुम्भ का आयोजन दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक और सांस्कृतिक समागम के रूप में स्थापित हुआ है। 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं का एकत्रित होना किसी भी अन्य धार्मिक आयोजन से एक अभूतपूर्व घटना है। यह संख्या कई देशों की कुल जनसंख्या से भी अधिक है। इस आयोजन में अमेरिका की दो गुना, पाकिस्तान की ढाई गुना, और रूस की चार गुना से अधिक जनसंख्या ने भाग लिया। इसके अतिरिक्त, जापान की पांच गुना, यूके की दस गुना और फ्रांस की पंद्रह गुना आबादी ने त्रिवेणी संगम में पवित्र स्नान किया, जिससे यह आयोजन वैश्विक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण बन गया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों का परिणाम-
महाकुम्भ को सफलता पूर्वक आयोजित करने का श्रेय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सुव्यवस्थित नेतृत्व को जाता है। उनके नेतृत्व में यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का प्रतीक बनकर सामने आया। इस अस्थायी नगर में 45 दिनों तक लाखों श्रद्धालु एकत्र हुए और सनातन धर्म की पवित्रता और भव्यता को दुनिया भर में प्रस्तुत किया।
आस्था, विश्वास और समरसता का अद्वितीय उदाहरण- महाकुम्भ 2025 ने यह सिद्ध कर दिया कि भारत की प्राचीन धार्मिक परंपराएँ न केवल आस्था और विश्वास का केंद्र हैं, बल्कि ये सांस्कृतिक एकता और समरसता का भी प्रतीक हैं। यह आयोजन पूरी दुनिया के लिए उदाहरण बन गया है कि कैसे एकजुट होकर धर्म, संस्कृति और मानवता की सेवा बड़े पैमाने पर की जा सकती है।