सम्राट अशोक प्रियदर्शी के जन्मोत्सव पर पहुंचे डिप्टी CM सम्राट चौधरी जदयू प्रदेश उपाध्यक्ष पंकज रंजन कहां महान योद्धा को नमन

Patna Desk

NEWS PR DESK- इतिहास गवाह होती है जब कुछ लोग कुछ कर जाते हैं आज हम बात कर रहे हैं चक्रवर्ती महान सम्राट अशोक प्रियदर्शी एक ऐसे योद्धा थे जिसके प्रजा हितकारी एवं प्रजा रक्षक होने के कारण उसे प्रजापति कहा जाता है और प्रजा प्रतिपालक के नाम से पुकारा जाता है।

जिसकी मानवतावादी नीतियों के कारण धर्मनायक भी कहा गया।वह केवल मनुष्यों में ही नहीं वरन देवों (28 बुद्ध) में भी प्रिय था इसलिये उसे देवानांप्रिय भी कहा गया।

भारतीय इतिहास में एक अकेला ऐसा महान सम्राट जिसने अखण्ड भारत पर शासन किया।जिसे संसार उसकी वीरता के कारण कम अपितु उसकी धर्म,अहिंसा,शांतिप्रियता और विश्व बंधुत्व कामना के कारण अधिक याद करता है।भारतीय संस्कृति की वसुधैव कुटुम्बकम की भावना का यदि सचमुच किसी ने प्रसार किया तो वह अशोक ही था।

यद्यपि अशोक को वीरता,शौर्य,सिंहासन उत्तराधिकार में मिला था किंतु उसकी जो सबसे महान और विलक्षण उपलब्धि रही,वह उसका हृदय परिवर्तन ; जिसके फलस्वरूप उसने अखण्ड भारत को ही नहीं वरन संपूर्ण विश्व को जीता।सिकन्दर ने धरती जीती थी किन्तु अशोक ने दिलों को जीता,सिकंदर ने लोगों पर शासन किया किंतु अशोक ने लोगों के दिलों पर।सिकन्दर ने आतंक और हिंसा से शासन किया किन्तु अशोक ने प्रेम और अहिंसा से।यहीं पर अशोक की महानता सिद्ध हो जाती है।

आप संसार के किसी भी देश में जाएं और आप वहां के लोगों से पूछें कि आप भारत के बारे में क्या जानते हैं तो दो ही नाम उभरकर सामने आएंगे : बुद्ध और अशोक।आज दुनिया में जितने भी बौद्ध देश हैं वहाँ बुद्ध की शिक्षाएं दी जाती हैं,भारत उनकी आध्यात्मिक भूमि है।भारत विश्वगुरु अशोक के ही समय हुआ।निःसंदेह इसका श्रेय अशोक को जाता है।

उसने अपनी दो संतानों-महिन्द एवं संघमित्रा को विश्व के कल्याण के लिये,शांति की स्थापना के लिये होम कर दिया।ऐसे अखंड भारत के सबसे बड़े साम्राज्य के निर्माता प्रजाप्रतिपालक चक्रवर्ती देवानांप्रिय सम्राट अशोक प्रियदर्शी को उनकी 2330वीं जयंती अशोकाष्टमी पर उन्हें शत-सत नमन

इस मौके पर उपस्थित रहे निरंजन कुशवाहा रेणु कुशवाहा और नागमणि कुशवाहा वही निशिकांत कुशवाहा भी मौजूद रहे

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