बिहार के मुजफ्फरपुर जिले से सामने आए एक बेहद दिल दहला देने वाले मामले ने राज्य की कानून व्यवस्था और स्वास्थ्य प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। दलित समुदाय की एक नाबालिग बच्ची के साथ दुष्कर्म के बाद उसकी हालत गंभीर हो गई थी। उसे इलाज के लिए पटना के पीएमसीएच लाया गया, लेकिन वहां चार घंटे तक एंबुलेंस में रखने और बेड न मिलने के कारण उसकी मौत हो गई।
इस पूरे मामले ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में जबरदस्त नाराजगी पैदा की है। विपक्षी दलों ने इसे राज्य सरकार की नाकामी करार दिया है, वहीं स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने घटना का संज्ञान लेते हुए जांच के आदेश दिए हैं।
स्वास्थ्य मंत्री ने की उच्च स्तरीय जांच की घोषणा
मंगलवार को स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि उन्होंने इस पूरे प्रकरण की गंभीरता को समझते हुए तीन डायरेक्टर इन चीफ – डॉ. आर.एन. चौधरी, डॉ. बी.के. सिंह और डॉ. प्रमोद कुमार के नेतृत्व में एक जांच समिति गठित की है। यह टीम मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच और पटना के पीएमसीएच दोनों जगह जाकर तथ्यों की जानकारी जुटाएगी।
उन्होंने कहा, “हमने न सिर्फ पुलिस कार्रवाई का संज्ञान लिया है, बल्कि इलाज में हुई लापरवाही को लेकर भी वरिष्ठ अधिकारियों से बात की है। जो भी दोषी होगा, उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
पुलिस ने किया आरोपी को गिरफ्तार, स्पीडी ट्रायल का वादा
स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी बताया कि पीड़िता से दुष्कर्म के मामले में मुख्य आरोपी को गिरफ्तार किया जा चुका है और मुजफ्फरपुर के एसएसपी ने आश्वासन दिया है कि 15 दिनों के भीतर स्पीडी ट्रायल चलाकर उसे कठोर सजा दिलवाई जाएगी।
राजनीतिक भूचाल: विपक्ष ने किया हमला, इस्तीफे की मांग
इस घटना के बाद बिहार सरकार विपक्ष के निशाने पर है। कांग्रेस ने इस मामले को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया, वहीं राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने इसे राज्य की गिरती कानून व्यवस्था और खराब स्वास्थ्य सेवाओं का ज्वलंत उदाहरण बताया।
जन सुराज जैसे संगठनों ने इसे सरकार की असंवेदनशीलता और अराजकता का प्रतीक बताया। विपक्ष का आरोप है कि एक तरफ नाबालिग से दुष्कर्म जैसी घटनाएं हो रही हैं, वहीं दूसरी ओर इलाज में भी भारी लापरवाही बरती जा रही है – यह सरकार की प्रशासनिक विफलता को उजागर करता है।
चार घंटे तक एंबुलेंस में इंतजार – मानवता पर सवाल
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि गंभीर हालत में लाई गई बच्ची को पीएमसीएच में चार घंटे तक एंबुलेंस में इंतजार करना पड़ा, क्योंकि उसे समय पर बेड नहीं मिला। इसी देरी के कारण उसकी मौत हो गई। यह घटना सिर्फ एक पीड़िता की नहीं, बल्कि बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाली की प्रतीक बन चुकी है।