देशभर में साइबर अपराधियों का कहर, बिहार में 20 हजार से ज्यादा लोग IMEI फ्रॉड का शिकार

Patna Desk

देश के विभिन्न हिस्सों की तरह बिहार भी साइबर अपराध की चपेट में है। ठग हर दिन नए तरीके ईजाद कर आम लोगों को निशाना बना रहे हैं। अबकी बार अपराधियों ने मोबाइल फोन के IMEI नंबर को ही धोखाधड़ी का हथियार बना लिया है। बिहार में अब तक 20,435 लोग इस नए तरह की साइबर ठगी का शिकार हो चुके हैं।IMEI नंबर से हो रही धोखाधड़ीहर मोबाइल की एक यूनिक पहचान होती है – उसका 15 अंकों वाला IMEI (International Mobile Equipment Identity) नंबर। लेकिन अब साइबर ठग इसी नंबर की क्लोनिंग कर लोगों को ठग रहे हैं। संचार साथी एप पर लगातार आ रही शिकायतों की जांच के बाद यह खुलासा हुआ है कि देशभर में करीब 1 करोड़ मोबाइल फोन ऐसे हैं जिनमें डुप्लीकेट IMEI नंबर इस्तेमाल हो रहे हैं।

अकेले बिहार में 5.57 लाख मोबाइल डिवाइस इस फर्जीवाड़े का हिस्सा हैं।कैसे होता है IMEI क्लोनिंग?साइबर विशेषज्ञों के अनुसार, अपराधी चोरी या अवैध रूप से प्राप्त मोबाइल फोन के IMEI नंबर को दूसरे मोबाइल में कॉपी कर देते हैं। यानी एक फोन की पहचान को दूसरे फोन में डाल दिया जाता है। इसके बाद वे उस फोन में नया सिम डालकर फर्जी कॉल, फिशिंग या अन्य साइबर अपराध को अंजाम देते हैं। इससे असली डिवाइस की पहचान करना मुश्किल हो जाता है।दूरसंचार विभाग की चेतावनीबिहार टेलीकॉम विभाग के उप निदेशक सूर्य प्रकाश ने बताया कि जब कोई उपभोक्ता अपने चोरी हुए फोन के IMEI को ब्लॉक करवाने का आवेदन देता है, तो जांच में पता चलता है कि वही IMEI किसी अन्य फोन में भी सक्रिय है।

यह स्पष्ट संकेत है कि उस डिवाइस में IMEI क्लोनिंग की गई है।कैसे करें बचाव?साइबर सुरक्षा को लेकर टेलीकॉम विभाग और एक्सपर्ट्स ने लोगों को कुछ एहतियात बरतने की सलाह दी है:नया फोन खरीदते समय बॉक्स और डिवाइस में *#06# डायल कर IMEI नंबर मिलाएं।पुराना या सेकंड हैंड मोबाइल लेते समय उसकी वैधता की जांच जरूर करें।चोरी या गुम हुए फोन की शिकायत तुरंत संचार साथी एप पर दर्ज करें।IMEI नंबर से छेड़छाड़ न करें, यह कानूनी अपराध है।साइबर ठगी के इस बढ़ते खतरे के बीच आम लोगों को सतर्क रहने और मोबाइल उपकरणों की वैधता की जांच करने की सख्त ज़रूरत है।

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