अगर किसी चीज को दिल से चाहो, तो पूरी कायनात उसे मिलाने में लग जाती है” – इस बात को सच्चाई में बदल कर दिखाया है उत्तराखंड की एक होनहार बेटी मुद्रा गैरोला ने। चमोली जिले के छोटे से कस्बे कर्णप्रयाग से निकलकर उन्होंने देश की सबसे प्रतिष्ठित सेवा, भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में अपना नाम दर्ज कराया है।
कौन हैं मुद्रा गैरोला?
मुद्रा शुरू से ही पढ़ाई में अव्वल रहीं। 10वीं में 96% और 12वीं में 97% अंक हासिल कर उन्होंने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। फिर BDS (Bachelor of Dental Surgery) में गोल्ड मेडल जीतकर डॉक्टर बनने की राह पर चल पड़ीं। लेकिन उनकी दिशा तब बदली, जब उन्होंने अपने पिता का सपना अपनाया – जो खुद 1973 में UPSC का सपना देख चुके थे लेकिन सफल नहीं हो सके।
सपना जो जुनून बन गया
पिता की अधूरी ख्वाहिश को पूरा करने का फैसला लेते हुए मुद्रा ने MDS की पढ़ाई छोड़ दी और UPSC की तैयारी में लग गईं। 2018 में पहली बार परीक्षा दी, इंटरव्यू तक पहुंची लेकिन चयन नहीं हुआ। लगातार तीन बार असफलता के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी।
IPS से IAS तक का सफर
2021 में उन्होंने 165वीं रैंक पाकर IPS बनकर एक बड़ी सफलता हासिल की। लेकिन उनका सपना तो IAS बनना था। उन्होंने दोबारा कमर कस ली। अंततः, 2023 में UPSC CSE में 53वीं रैंक लाकर उन्होंने IAS का तमगा हासिल कर लिया।
संघर्ष से सफलता तक
मुद्रा गैरोला की यह कहानी दिखाती है कि अगर इरादे मजबूत हों और मेहनत सच्ची हो, तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं। उन्होंने न सिर्फ अपने पिता का सपना साकार किया, बल्कि उन लाखों युवाओं के लिए एक प्रेरणा बन गईं जो बड़े सपने देखने की हिम्मत रखते हैं।