मोहर्रम, जो आमतौर पर शोक, त्याग और हुसैनी जज्बे का प्रतीक माना जाता है, इस बार कटिहार के सलामत नगर में कुछ अलग ही रंग में नजर आया। यहां की मोहर्रम कमेटी ने ताजिया जुलूस को राष्ट्रभक्ति के जज्बे से जोड़ते हुए एक अनोखी मिसाल पेश की।
इस बार जुलूस का सबसे खास आकर्षण था — फाइटर प्लेन की शक्ल में बना ताजिया, जिसे देखने के लिए लोगों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। इस ताजिया के साथ ‘ऑपरेशन सिंदूर’, ‘भारत माता की जय’, ‘वंदे मातरम्’ जैसे नारों और बैनरों ने पूरे माहौल को देशभक्ति के रंग में रंग दिया।
महिला सैन्य अधिकारियों को भी दी गई श्रद्धांजलि
इस खास जुलूस में भारतीय वायुसेना और थलसेना की महिला अधिकारी — विंग कमांडर वामिका सिंह और लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी के कटआउट भी लगाए गए थे, जो यह संदेश दे रहे थे कि देश की रक्षा में महिलाएं भी अग्रिम पंक्ति में खड़ी हैं।
“हुसैनियत जुल्म के खिलाफ आवाज़ है”
सलामत नगर मोहर्रम कमेटी के सदस्यों ने बताया कि “मोहर्रम सिर्फ मातम नहीं, बल्कि हुसैनियत का पैगाम है। यह बताता है कि जब जुल्म बढ़े, तो चुप न रहो — आवाज़ बुलंद करो, चाहे उसकी कीमत जान से चुकानी पड़े।” उन्होंने ये भी साफ किया कि “अगर वतन पर कोई आंख उठाएगा, तो हर मुसलमान अपनी जान कुर्बान करने को तैयार है।“
मजहब और वतनपरस्ती का संगम
यह ताजिया सिर्फ एक धार्मिक प्रतीक नहीं था, बल्कि देश के लिए एक आदरपूर्ण सलाम भी था। भारत का नक्शा, सैन्य शौर्य और देशभक्ति के नारों से सजे इस जुलूस ने दिखाया कि मजहब और राष्ट्रप्रेम साथ-साथ चल सकते हैं।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ से जुड़ा उत्साह
हाल के दिनों में सोशल मीडिया पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर खासा जोश देखने को मिला है, जिसमें पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय सेना की सशक्त कल्पना को गौरव और प्रेरणा के रूप में पेश किया गया। कटिहार का यह जुलूस उसी भावना को सामाजिक और धार्मिक मंच पर लाकर नई ऊंचाई पर ले गया।
कटिहार का यह आयोजन सिर्फ एक परंपरा का निर्वाह नहीं था, बल्कि यह एक नई सोच का प्रतिनिधित्व करता है — जहां मजहब के साथ देश के प्रति समर्पण भी दिखाई देता है। यह साबित करता है कि भारत का मुसलमान सिर्फ धर्म नहीं, देश के लिए भी जीता और कुर्बानी देने को तैयार है।