मुजफ्फरपुर की तपती धरती पर जैसे ही पहली फुहारें बरसीं, पूरा शहर राहत की सांस ले उठा। आसमान से बरसी बूंदों ने गर्मी से बेहाल ज़मीन को जैसे थाम लिया हो—पल भर में मौसम का मिज़ाज ही बदल गया।
कई हफ्तों से सूरज की तपिश और उमस से जूझ रहे लोगों को आखिरकार आसमान ने ठंडक की सौगात दे दी।रातभर हुई रुक-रुक कर तेज बारिश ने शहर को जैसे तरोताज़ा कर दिया हो। सुबह जब लोग नींद से जागे, तो हवाओं में ताजगी और मिट्टी में सौंधापन घुल चुका था। बालकनी और गलियों में निकलकर बच्चों ने पहली बारिश का खुले दिल से स्वागत किया। बूंदों की रिमझिम और बच्चों की खिलखिलाहट ने जैसे पूरे माहौल को जादुई बना दिया।किसानों के लिए यह बारिश किसी वरदान से कम नहीं। लंबे इंतजार के बाद धान की बुआई के लिए अब खेत तैयार हैं।
खेतों की दरारें अब नमी से भर रही हैं, और किसान हल लेकर खेतों की ओर बढ़ चले हैं—आंखों में चमक और दिल में संतोष लिए।सावन की शुरुआत के साथ ही यह बारिश कांवड़ यात्रा पर निकले शिवभक्तों के लिए भी बड़ी राहत बनकर आई है। पहलेजा घाट से बाबा गरीबनाथ धाम की ओर बढ़ते श्रद्धालुओं को अब तेज धूप और उमस की मार नहीं सहनी पड़ेगी। बारिश की ठंडी बूंदों ने उनका सफर आसान कर दिया है और आस्था को और भी गहरा बना दिया है।इन दिनों मुजफ्फरपुर का मौसम खुद एक गीत बन गया है—बादलों की गूंज, बूंदों की ताल और हवाओं की सरगम ने जैसे पूरी फिजा को संगीतमय कर दिया है।