बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों के तहत मतदाता सूची का पुनरीक्षण कार्य तेज़ी से चल रहा है। प्रारूप मतदाता सूची जारी होने के बाद अब ऐसे नामों को हटाया जा सकता है, जिनके साथ जरूरी दस्तावेज जमा नहीं किए गए हैं।चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि केवल गणना प्रपत्र भरना पर्याप्त नहीं है, साथ में आवश्यक प्रमाण-पत्रों का जमा किया जाना अनिवार्य है। जिला निर्वाचन कार्यालय के अनुसार, बड़ी संख्या में मतदाताओं ने आवेदन तो किए, लेकिन दस्तावेज नहीं दिए।आंकड़ों के अनुसार, 1,37,009 लोगों ने स्वयं आवेदन किया, जबकि 45,14,974 मतदाताओं ने बीएलओ के माध्यम से प्रपत्र जमा किए।
इन आवेदनों में से कई में केवल फॉर्म जमा किया गया, प्रमाण-पत्र नहीं।शुरुआत में लोगों ने दस्तावेजों के साथ आवेदन किए थे, लेकिन बाद में आयोग ने सुविधा दी कि पहले प्रपत्र दें और दस्तावेज बाद में। इससे प्रक्रिया तो तेज़ हुई, लेकिन कई लोग दस्तावेज देना भूल गए। अब आयोग ने निर्देश दिए हैं कि बिना दस्तावेज़ वालों के नाम अंतिम सूची में नहीं रहेंगे।शहरी क्षेत्रों में स्थिति ज्यादा चिंताजनक है। पटना जिले के दीघा, बांकीपुर, कुम्हरार, दानापुर और पटना सिटी जैसे इलाकों में सबसे अधिक ऐसे मतदाता हैं जिन्होंने बिना दस्तावेज आवेदन किया। इसके विपरीत ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश लोगों ने सभी आवश्यक कागजातों के साथ आवेदन किया है।जिला प्रशासन ने बीएलओ और विशेष कैंपों के माध्यम से दस्तावेज़ जमा करने की अपील की है। यह सुविधा केवल दावा-आपत्ति की तय अवधि तक ही सीमित है। इस अवधि के बाद कोई दस्तावेज स्वीकार नहीं किए जाएंगे।हालांकि, उन मतदाताओं को राहत दी गई है जिनके नाम 2003 की मतदाता सूची में थे और जिन्होंने सत्यापन प्रपत्र भर दिया है। ऐसे लोगों को दोबारा कोई दस्तावेज़ देने की जरूरत नहीं होगी, उनका नाम स्वतः ही अंतिम सूची में जोड़ा जाएगा।