बिहार SIR ड्राफ्ट लिस्ट विवाद: चुनाव आयोग का बड़ा फैसला!

Jyoti Sinha

बिहार की राजनीति में इन दिनों मतदाता सूची बड़ा विवाद बना हुआ है। विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण (SIR) की ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी होने के बाद लाखों मतदाताओं के नाम गायब पाए गए हैं, जिससे विपक्ष से लेकर आम लोगों तक में नाराज़गी है। इस बीच चुनाव आयोग ने स्थिति स्पष्ट की है। आयोग ने कहा है कि जिनका नाम इस बार की सूची से हटा दिया गया है, वे आधार कार्ड की प्रति जमा कराकर फिर से मतदाता सूची में शामिल हो सकते हैं।

यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के बाद लिया गया है, जिसमें आधार को पहचान प्रमाण के रूप में मान्यता देने का निर्देश दिया गया था। इसी क्रम में बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी विनोद सिंह गुंजियाल ने सोमवार को सभी जिला निर्वाचन पदाधिकारियों के साथ बैठक की। उन्होंने निर्देश दिया कि हर मतदान केंद्र और सरकारी दफ्तर पर हटाए गए नामों की सूची चिपकाई जाए और लोगों को दावा-आपत्ति की प्रक्रिया की पूरी जानकारी दी जाए।

राज्य के कुल 90,712 बूथों पर सोमवार से यह श्रेणीवार सूची सार्वजनिक कर दी गई है। इसमें उन लोगों के नाम हैं, जो पहले मतदाता सूची में दर्ज थे, लेकिन अब ड्राफ्ट लिस्ट में शामिल नहीं हैं—जैसे लंबे समय से अनुपस्थित रहने वाले मतदाता, स्थायी रूप से दूसरी जगह रहने चले गए लोग, मृतक मतदाता या जिनका नाम दो बार दर्ज था। यह सूची पंचायत, प्रखंड और नगर निकाय कार्यालयों में भी उपलब्ध करा दी गई है ताकि लोग नाम और हटाए जाने का कारण खुद देख सकें।

चुनाव आयोग ने कहा है कि अगर कोई मतदाता सूची से असहमत है तो वह 1 सितंबर तक दावा या आपत्ति दर्ज करा सकता है। निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी इन दावों का निपटारा करेंगे, लेकिन यह प्रक्रिया जरूरी दस्तावेजों के सत्यापन के कम से कम सात दिन बाद पूरी होगी।

आयोग ने मतदाताओं से अपील की है कि वे अपना ईपिक (EPIC) नंबर डालकर सूची में नाम हटाए जाने का कारण जांचें और यदि नाम गलती से हट गया है तो समय रहते दावा दर्ज कराएं। अधिकारियों को भी निर्देश दिया गया है कि गांव-गांव और वार्ड-वार्ड तक जानकारी पहुंचाई जाए ताकि कोई भी योग्य मतदाता अपने मतदान अधिकार से वंचित न हो। इस फैसले के बाद अब मतदाताओं को यह भरोसा मिला है कि आधार कार्ड के जरिए वे दोबारा वोटर लिस्ट में नाम जुड़वा सकते हैं।

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