बिहार के पश्चिम चंपारण जिले को एक और बड़ी पर्यावरणीय उपलब्धि हासिल हुई है। उदयपुर जंगल (झील क्षेत्र) को अब वेटलैंड (आर्द्रभूमि) के रूप में चिह्नित करते हुए रामसर साइट की सूची में शामिल कर लिया गया है। इस संबंध में प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा अधिसूचना जारी कर दी गई है।उदयपुर झील को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिलने के बाद यहाँ पर्यटन को नया आयाम मिलने की उम्मीद है। विशेषज्ञों का मानना है कि अब यहाँ देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों की संख्या कई गुना बढ़ेगी।
अब बिहार में पाँच रामसर स्थल
उदयपुर वेटलैंड के रामसर साइट बनने के साथ ही बिहार में अब कुल पाँच आर्द्रभूमियाँ अंतरराष्ट्रीय दर्जा प्राप्त कर चुकी हैं।यह ऐतिहासिक जंगल क्षेत्र करीब 319 हेक्टेयर में फैला हुआ है। रामसर का दर्जा मिलने से यहाँ के पर्यावरणीय संतुलन, जैव विविधता और स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण को नई मजबूती मिलेगी।
अधिकारियों पर बढ़ी जिम्मेदारी-
वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के निदेशक-सह-संरक्षक नेशामणि के. ने कहा कि अब अधिकारियों पर इस क्षेत्र की सुरक्षा की अधिक जिम्मेदारी आ गई है।उदयपुर वेटलैंड में मौजूद जलाशयों की रक्षा, देशी-विदेशी प्रवासी पक्षियों के लिए भोजन और आवास का संरक्षण तथा फ्लोरा-फौना की सतत निगरानी प्रमुख कार्य होंगे।यहाँ करीब 280 से अधिक प्रजातियों की वनस्पतियाँ पाई जाती हैं, जबकि हर साल सर्दियों में 30 से अधिक देशी और विदेशी पक्षी प्रजातियाँ यहाँ शरण लेने आती हैं।—रामसर साइट संख्या 2577 – ऑक्सबो झील के रूप में दर्जाउदयपुर झील को रामसर साइट संख्या 2577 के रूप में ऑक्सबो लेक के तहत चिह्नित किया गया है। भारत में अब तक 93 वेटलैंड्स को अंतरराष्ट्रीय महत्व के रामसर स्थलों में शामिल किया जा चुका है।
रामसर कन्वेंशन का उद्देश्य
बता दें कि रामसर कन्वेंशन की शुरुआत वर्ष 1971 में ईरान के रामसर शहर में यूनेस्को के तत्वावधान में हुई थी।इस सम्मेलन में विश्व के कई देशों ने हस्ताक्षर कर यह संकल्प लिया था कि वे अपने-अपने देशों की आर्द्रभूमियों की रक्षा करेंगे और उनके सतत उपयोग को बढ़ावा देंगे।रामसर साइट का दर्जा मिलने के बाद किसी भी स्थल को अंतरराष्ट्रीय महत्व का पर्यावरणीय क्षेत्र माना जाता है, जिससे उसके संरक्षण और विकास के लिए वैश्विक सहयोग प्राप्त होता है।