बिहार चुनाव 2025: आज शाम 5 बजे से लागू होगा ‘साइलेंस पीरियड’, बंद हो जाएंगे सभी प्रचार अभियान

Jyoti Sinha

बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान से पहले आज शाम से पूरे राज्य में ‘साइलेंस पीरियड’ (Silence Period) लागू हो जाएगा। चुनाव आयोग के निर्देश के अनुसार, 4 नवंबर की शाम 5 बजे से लेकर 6 नवंबर को मतदान समाप्त होने तक, किसी भी तरह की चुनावी गतिविधि पर रोक रहेगी।

इस दौरान कोई भी राजनीतिक दल, प्रत्याशी या संगठन मतदाताओं को प्रभावित करने वाली सभाएं, रैलियां, भाषण या प्रचार अभियान नहीं चला सकेगा। आयोग का उद्देश्य है कि मतदाता बिना किसी दबाव, प्रचार या भावनात्मक प्रभाव के स्वतंत्र रूप से अपना मतदान निर्णय ले सकें।


क्या है साइलेंस पीरियड का कानूनी आधार

‘साइलेंस पीरियड’ का प्रावधान लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126(1)(B) के तहत किया गया है। इस कानून के अनुसार, मतदान से 48 घंटे पहले से लेकर मतदान समाप्त होने तक, किसी भी माध्यम — जैसे भाषण, टीवी, रेडियो या सोशल मीडिया — के जरिए चुनावी प्रचार या “इलेक्शन मैटर” का प्रसारण प्रतिबंधित है।

यदि कोई व्यक्ति या संस्था इस नियम का उल्लंघन करती है, तो उसके खिलाफ दो साल की सजा, जुर्माना, या दोनों का प्रावधान है।


साइलेंस पीरियड में क्या होगा बंद

  • किसी भी तरह की जनसभा, रैली या प्रचार जुलूस की अनुमति नहीं होगी।
  • लाउडस्पीकर और ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग तुरंत रोक दिया जाएगा।
  • धार्मिक स्थलों और स्कूलों के आसपास किसी भी तरह का राजनीतिक भाषण पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा।
  • पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मतदान केंद्रों के आसपास 24 घंटे निगरानी रखेंगे ताकि कोई भी नियम का उल्लंघन न हो सके।

पटना, गया, मुजफ्फरपुर, दरभंगा और भागलपुर जैसे जिलों में पहले से ही माइक, प्रचार वाहन और सभा स्थलों पर विशेष निगरानी बढ़ा दी गई है।


मीडिया और सोशल मीडिया पर सख्ती

इस बार चुनाव आयोग ने टीवी चैनलों, रेडियो और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी सख्त दिशा-निर्देश लागू किए हैं।

  • मतदान से 48 घंटे पहले तक किसी भी माध्यम पर राजनीतिक बयान, प्रचार सामग्री या ओपिनियन पोल प्रसारित नहीं किए जा सकेंगे।
  • फेसबुक, एक्स (ट्विटर), यूट्यूब, इंस्टाग्राम और व्हाट्सऐप ग्रुप्स पर किसी प्रत्याशी के समर्थन में संदेश या वीडियो पोस्ट करने वालों पर तुरंत कार्रवाई होगी।
  • ऑनलाइन विज्ञापनों और डिजिटल प्रचार के लिए भी आयोग की पूर्व स्वीकृति अनिवार्य कर दी गई है।

अखबारों और विज्ञापनों पर भी नियंत्रण

प्रिंट मीडिया में भी अब किसी भी राजनीतिक विज्ञापन को बिना पूर्व-प्रमाणीकरण प्रकाशित नहीं किया जा सकेगा।
प्रत्येक विज्ञापन को पहले चुनाव आयोग की प्रमाणन इकाई से मंजूरी लेनी होगी। इससे फर्जी या भ्रामक प्रचार पर रोक लगाई जा सकेगी और मीडिया की जवाबदेही तय होगी।


बाहरी नेताओं पर भी निगरानी

जिन जिलों में मतदान होना है, वहां के गैर-मतदाता राजनीतिक कार्यकर्ताओं और नेताओं को क्षेत्र छोड़ने का निर्देश दिया गया है।
होटलों, धर्मशालाओं और गेस्ट हाउसों की तलाशी ली जाएगी ताकि कोई भी पार्टी बाहरी कार्यकर्ताओं को ठहराकर मतदाताओं को प्रभावित न कर सके।


निष्पक्ष मतदान की तैयारी पूरी

चुनाव आयोग का कहना है कि ‘साइलेंस पीरियड’ लोकतंत्र की आत्मा है। जब प्रचार का शोर थमता है, तो मतदाता को सोचने का समय मिलता है कि वह किसे वोट देना चाहता है।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने स्पष्ट कहा है कि कोई भी व्यक्ति, पार्टी या संस्था नियमों का उल्लंघन करती है तो उस पर सख्त कार्रवाई होगी।

प्रत्येक जिले में कंट्रोल रूम और मॉनिटरिंग टीमें बनाई गई हैं जो सोशल मीडिया और समाचार माध्यमों पर नजर रखेंगी।

Share This Article