बिहार चुनाव 2025: औरंगाबाद में पीएम मोदी की रैली से एनडीए को नई उम्मीद, ‘जीरो से हीरो’ बनने की चुनौती

Jyoti Sinha

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के सबसे रोमांचक और चुनौतीपूर्ण मैदानों में से एक है औरंगाबाद जिला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज यहां पहुंचकर एनडीए उम्मीदवारों में जोश भरेंगे और इस इलाके में जीत की नई रणनीति को धार देंगे। यह रैली एनडीए के लिए बेहद अहम मानी जा रही है, क्योंकि 2020 के चुनाव में औरंगाबाद की सभी छह सीटें विपक्ष के खाते में चली गई थीं।

अब एनडीए का लक्ष्य साफ है — “2020 की हार को 2025 में जीत में बदलना।” प्रधानमंत्री मोदी की यह सभा उसी मिशन को मजबूती देने के लिए आयोजित की गई है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस रैली का असर 14 नवंबर को होने वाले मतदान में साफ दिख सकता है।


2020 में औरंगाबाद: एनडीए की सबसे बड़ी हार

2020 विधानसभा चुनाव में एनडीए को औरंगाबाद जिले की छह सीटों पर करारी शिकस्त झेलनी पड़ी थी —

  • गोह विधानसभा: राजद के भीम यादव ने बीजेपी के मनोज कुमार शर्मा को 35 हजार से ज्यादा वोटों से हराया।
    राजद: 81,410 | बीजेपी: 45,792
  • ओबरा विधानसभा: राजद के ऋषि कुमार ने लोजपा के प्रकाश चंद्रा को 23 हजार से अधिक वोटों से मात दी।
    राजद: 63,662 | लोजपा: लगभग 40,000+
  • नवीनगर विधानसभा: राजद के विजय कुमार सिंह ने जेडीयू के वीरेंद्र कुमार सिंह को 20 हजार से ज्यादा वोटों से हराया।
    राजद: 64,943 | जेडीयू: 44,822
  • कुटुंबा विधानसभा: कांग्रेस के राजेश कुमार (प्रदेश अध्यक्ष) ने हम(से) के श्रवण भुइया को 16 हजार वोटों से मात दी।
    कांग्रेस: 50,822 | हम(से): 34,169
  • औरंगाबाद विधानसभा: कांग्रेस के आनंद शंकर सिंह ने बीजेपी के रामाधार सिंह को करीब 3 हजार वोटों से पराजित किया।
    कांग्रेस: 70,018 | बीजेपी: 67,775
  • रफीगंज विधानसभा: राजद के मोहम्मद नेहालुद्दीन ने निर्दलीय प्रमोद सिंह को हराया, जबकि जेडीयू के अशोक कुमार तीसरे स्थान पर रहे।
    राजद: 63,250 | निर्दलीय: 53,896

2025 में एनडीए की नई रणनीति

2020 की हार से सबक लेते हुए एनडीए ने इस बार औरंगाबाद में पूरी रणनीति बदल दी है। उम्मीदवारों से लेकर प्रचार अभियान तक, हर स्तर पर नए प्रयोग किए जा रहे हैं। अधिकांश सीटों पर नए चेहरे उतारे गए हैं ताकि जनता में ताजगी और विश्वास पैदा हो सके।

एनडीए को उम्मीद है कि प्रधानमंत्री मोदी की रैली न केवल कार्यकर्ताओं में जोश भर देगी बल्कि मतदाताओं का रुझान भी बदल देगी। अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या एनडीए 2020 की ‘संपूर्ण हार’ को 2025 की ऐतिहासिक जीत में बदल पाता है या नहीं।

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