बिहार विधानसभा चुनाव के दोनों चरणों की वोटिंग पूरी होने के अगले ही दिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बुधवार को राजधानी पटना के धार्मिक स्थलों के दौरे पर निकले। उन्होंने सबसे पहले महावीर मंदिर में पूजा-अर्चना की, इसके बाद गुरुद्वारे में मत्था टेका, और फिर एक मजार पर जाकर दुआ मांगी।
आस्था या राजनीति का संदेश?
मुख्यमंत्री का यह दौरा राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है। हालांकि इसे उनकी व्यक्तिगत श्रद्धा से जुड़ा कार्यक्रम बताया जा रहा है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषक इसे चुनावी संदेश की राजनीति से जोड़कर भी देख रहे हैं।
कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार ने इस दौरे के जरिए बिहार की जनता को धार्मिक सौहार्द और एकता का संदेश देने की कोशिश की है।
सर्वधर्म समभाव की मिसाल
महावीर मंदिर से लेकर गुरुद्वारे और मजार तक पहुंचकर नीतीश कुमार ने एक बार फिर यह दर्शाया कि विकास और सामाजिक एकता उनकी राजनीति के दो समान स्तंभ हैं।
उनका यह कदम उस छवि को और मजबूत करता है, जिसमें वे सर्वधर्म समभाव और सामाजिक सद्भाव के प्रतीक माने जाते हैं।
राजनीतिक रणनीति या सच्ची श्रद्धा?
वोटिंग खत्म होते ही धार्मिक स्थलों का यह दौरा दो तरह के संदेश दे रहा है — एक ओर यह उनकी धार्मिक आस्था का प्रदर्शन है, तो दूसरी ओर इसे चुनावी रणनीति के रूप में भी देखा जा रहा है।
इस दौरान मुख्यमंत्री के साथ मंत्री अशोक चौधरी और विजय चौधरी भी मौजूद थे।
एग्जिट पोल पर चुप्पी, मुस्कुराहट ने बढ़ाई अटकलें
जब पत्रकारों ने नीतीश कुमार से एग्जिट पोल को लेकर सवाल किया, तो उन्होंने बिना कुछ कहे मुस्कुराते हुए गाड़ी में बैठकर रवाना हो गए।
उनकी यह मुस्कान सियासी हलकों में इस रूप में देखी जा रही है कि मुख्यमंत्री सत्ता में दोबारा वापसी को लेकर आत्मविश्वास से भरे हुए हैं।