पटना डेस्क
मधेपुरा: योग हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग है। यह हमारी पहचान है। हमें कभी भी अपनी पहचान को नहीं छोड़ना चाहिए। यह बात कुलपति प्रोफेसर डॉ ज्ञानंजय द्विवेदी ने रविवार को कही।
उन्होंने कहा कि यह दुनिया को भारत की अमूल्य देन है। आज कोरोना काल में पूरी दुनिया योग की शरण में आई है। योग मात्र रोग दूर भगाने का उपक्रम नहीं है। यह तो अमरता की प्राप्ति का माध्यम है। यदि हम योग के सभी आयामों को अपने जीवन में अपनाएंगे, तो हम सभी प्रकार के दुखों से मुक्त होकर मोक्ष की प्राप्ति कर सकते हैं। कुलपति ने बताया कि योग के आठ अंग यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि हैं। इन आठों अंगों का महत्व है। योग को सिर्फ आसन एवं प्राणायाम तक सीमित नहीं किया जा सकता है।
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्जवलित कर की गई। योग प्रभारी पृथ्वीराज यदुवंशी और प्रशिक्षिका डॉ सपना जयसवाल ने सभी लोगों को योगाभ्यास कराया। धन्यवाद ज्ञापन एनएसएस समन्वयक डॉ अभय कुमार ने की। इस अवसर पर वित्तीय परामर्शी सुरेशचंद्र दास, शिक्षक संघ के महासचिव डॉ अशोक कुमार, बीएनमुस्टा के महासचिव डॉ नरेश कुमार, परिसंपदा पदाधिकारी बीपी यादव, कुलपति के निजी सहायक शंभू नारायण यादव, पीआरओ डॉ सुधांशु शेखर, डॉ संजय कुमार, अनिल कुमार, सीनेटर रंजन यादव, डॉ विनोद कुमार यादव, बुद्धप्रिय, डॉ. अजय कुमार, डॉ. राजेश्वर राय, शैलेंद्र यादव, डॉ. अरुण कुमार यादव, बैजनाथ यादव, संजय कुमार, रतन कुमार, नवीन कुमार सिंह, सुभाष कुमार, सुपेंद्र कुमार सुमन, राजेश कुमार आदि उपस्थित थे।