NEWSPR डेस्क। राजधानी पटना से एक बड़ी खबर सामने आई है जहां एक परिवार अपने तीन महीने से गायब बेटे को वापस पाने के लिए अब सड़क पर उतर गया है। गायब लड़के के पीड़ित परिजनों की मानें तो 3 महीने से शासन-प्रशासन स्तर पर प्रयास करने के बाद अब वे न्याय की मांग करने सड़क पर उतर आए हैं।
बेऊर थाना क्षेत्र से राजेश कुमार 4 अक्टूबर 2020 से लापता है। अब राजेश को खोजने के लिए पीड़ित परिजन हाथों में पोस्टर लेकर राजधानी के डाक बंग्ला चौराहे पर खड़े होकर जस्टिस की मांग भी करते नजर आए, लेकिन इसके बावजूद प्रशासन ने संज्ञान तक नहीं लिया।बेउर थाना क्षेत्र से गायब लड़का विगत 3 महीने से लापता है, लेकिन दो थानों की पुलिस को जानकारी होने के बाद भी कार्रवाई करने में पूरी तरह से लापरवाही बरत रही है।
इतना ही नहीं इस पूरे मामले में न्यायालय से आदेश मिलने के बाद ही थानो में प्राथमिकी दर्ज हुई थी, लेकिन इसके बावजूद जब लड़के को खोजा नहीं गया तो अब पीड़ित परिजन सड़क पर उतर कर आरोपी डॉ. के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
बता दें कि पीड़ित परिवार डॉ. रजनीश नाम के चिकित्सक पर लड़के को गायब करने का आरोप लगा रहे हैं। बता दें कि पाटिलपुत्र थाना क्षेत्र में रहने वाला युवक तीन माह पहले गायब हो गया था, जिसकी सूचना परिजनों ने पहले तो पाटलिपुत्रा थाना जाते हैं, लेकिन एफआईआार दर्ज नहीं की गई। इसके बाद गायब होने वाले क्षेत्र बेउर थाना में जब एफआईआर दर्ज कराने पहुंचे तो केस लेने से मना कर दिया गया।
इसके बाद पीड़ित परिजन ने न्यायालय का शरण लिया। इसके बाद न्यायालय के आदेश पर बेउर थाना ने मामला तो दर्ज कर लिया, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ पीड़ितों को चक्कर लगवाते रहे।पीड़ित परिजनों की मानें तो डॉ रजनीश शाम को फ़ोन कर उसके भाई को बुलाया और तब से उसका भाई वापस घर नहीं आया है। एड़ी में दर्द की समस्या को लेकर डॉ. रजनीश के पास जाता है और वापस रीढ़ की समस्या को लेकर लौटता है।
लड़का घर मे कुछ नहीं बताता क्योंकि उसने सोशल मीडिया की मदद से डॉ. रजनीश के पास गया था। दर्द से परेशान डॉ. से कई बार गायब हुए लड़के की कहा सुनी होती है और फिर डॉ. दोबारा मिलने के लिए बुलाते हैं। इसके बाद आज तक लड़का गायब है। बेउर थाना FIR दर्ज नहीं करती है। परिवार वाले पटना हाई कोर्ट जाते है। कोर्ट से आदेश मिलता है तब जाकर बेउर थाना FIR दर्ज करती है।
लड़के की वापसी के लिए अब तक पीड़ित परिजनों ने अधिकारियों से लेकर राजनेताओं तक के दरवाजे घूम चुके हैं, लेकिन अब तक निराशा ही हाथ लगी है। हालात ये है कि गायब लड़के को खोचने के प्रयास में पीड़ित परिवार आर्थिक तंगी के कगार पर भी है, लेकिन कार्रवाई के लिए शासन और प्रशासन स्तर पर सुनवाई नहीं हो सकी है।