राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद की मुश्किलें हुई दोगुनी, हाईकोर्ट ने माँगा जवाब, किससे पूछ कर किया गया लालू को पेइंग वार्ड में शिफ्ट

Sanjeev Shrivastava

NEWSPR डेस्क। चारा घोटाला केस में सजा काट रहे राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद से जुड़े मामले में शुक्रवार को झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई हाई कोर्ट के जस्टिस अपरेश कुमार की अदालत में हुई। अपर महाधिवक्ता आशुतोष आनंद ने सरकार की ओर से पक्ष रखा।

उन्होंने बताया कि कस्टडी में इलाज कराने वाले कैदियों के लिए एक एसओपी बनाई गई है। उसी के तहत उनकी सुरक्षा और लोगों से मिलने की प्रक्रिया तय की जाती है। अदालत ने पूछा कि किसके निर्णय से लालू प्रसाद को पेइंग वार्ड से रिम्स निदेशक के बंगले में और फिर से उन्हें पेइंग वार्ड में शिफ्ट किया गया है। कोर्ट ने यह भी पूछा कि कैदी से अनावश्यक लोग मिलते हैं तो इसके लिए कौन अधिकारी जिम्मेदार हैं।

इस मामले पर अपर महाधिवक्ता की ओर से रिपोर्ट अदालत में दाखिल करने के लिए समय की मांग की गई। अदालत ने इस मामले की सुनवाई 18 दिसंबर को निर्धारित किया है। हालांकि इस दौरान सीबीआइ की ओर से कहा गया कि जेल मैनुअल का उल्लंघन करने को लेकर लालू प्रसाद के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। इस पर अदालत ने कहा कि यह अलग मामला है।

इस पर सीबीआई ने कहा कि कोर्ट ने तीन माह में लालू से मिलने वाले लोगों की सूची मांगी गई थी। कोर्ट ने कहा कि यह सूची उन्हें मिल गई है। कोर्ट ने यह भी पूछा है कि लालू प्रसाद को मिलने वाले सेवादार की नियुक्ति कौन करता है। सेवादार कौन-कौन से लोग हो सकते हैं। इस पर भी राज्य सरकार को विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करनी है।दरअसल इस मामले में हाईकोर्ट ने लालू प्रसाद से 3 माह में मिलने वाले लोगों की सूची आइजी जेल और बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा के अधीक्षक से मांगी थी।

पूर्व में समय से रिपोर्ट जमा नहीं करने पर अदालत ने दोनों अधिकारियों को शोकॉज जारी किया था। पिछली सुनवाई के दौरान इन लोगों ने अपनी रिपोर्ट अदालत में दाखिल कर दी थी। इसके बाद अदालत में राज्य सरकार का पक्ष रखने के लिए महाधिवक्ता को निर्देश दिया था कि इस मामले में एक सरकारी अधिवक्ता की नियुक्ति करें, जो सरकार का पक्ष रख सके। इसी दौरान सीबीआइ ने यह मुद्दा भी उठाया था कि लालू प्रसाद रिम्स में मिली सुविधाओं का मिसयूज कर रहे हैं।

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