NEWSPR डेस्क। पिता दशरथ मांझी को माउंटेनमैन की ऊंचाई तक पहुंचाने वाली उनकी बेटी लौंगिया देवी को जीते जी तो मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत दो कमरे का पक्का मकान मयस्सर नहीं हो सका। अलबत्ता उसकी मौत के एक दिन पहले इस योजना की किस्त पहुंची। अपने सपनों के घर का सुख भोगने से पहले ही वह इस दुनिया से कूच कर गई। दशरथ मांझी ने कई सालों की मेहनत के बाद पहाड़ का सीना काटकर रास्ता बनाया था। उनकी इस उपलब्धि में लौंगिया देवी का भी काफी योगदान था। उन्होंने अपने पिता का हर कदम पर साथ दिया था।
लौंगिया ताउम्र आवास योजना के लिए आवेदन करती रही और सरकारी तंत्र उसे किसी न किसी बहाने खारिज करता रहा। हर बार उसका नाम सूची से दूर किया जाता रहा। अब उसके मरने के ठीक कुछ घंटे पहले मुख्यमंत्री आवास योजना की पहली किस्त मोहड़ा प्रखंड पहुंची। अचरज की बात यह है कि लौंगिया जिस समाज से आती हैं कि उस समाज के एक कद्दावर नेता भी इसी मगध क्षेत्र से ताल्लुक रखते हैं। वह अपने समाज के बड़े नेता भी माने जाते हैं पर उनके ही समाज की एक महिला को जीवन भर मुख्यमंत्री योजना का लाभ नहीं मिल सका।
लौंगिया देवी के भतीजे मिथुन मांझी का कहना है कि उनकी बुआ बीते पांच वर्षों से मुख्यमंत्री आवास योजन का लाभ लेने के लिए आवेदन कर रही थीं पर उनका नाम किसी भी वर्ष सूची में शामिल नहीं किया गया। हर बार उनका नाम किसी न किसी बहाने से काट दिया जा रहा था। इस बात की शिकायत बड़े नेताओं से लेकर प्रशासन के उच्च अधिकारियों तक से की गई पर उसका भी कोई असर नहीं हुआ। पिछले शुक्रवार को वह इस दुनिया से चली गई। अब उनके नाम से पैसा भी आया भी तो उसकी मौत के से कुछ देर पहले।
मोहड़ा प्रखंड के प्रखंड विकास अधिकारी शंभु चौधरी ने बताया कि गुरुवार को मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत लौंगिया देवी के नाम पहली किस्त 54 हजार रुपये आ गये हैं। हालांकि अब उनकी मृत्यु हो चुकी है तो उनके आश्रितों को विधि सम्मत कार्रवाई करते हुए लाभ दिया जाएगा। उन्होंने इसकी सूचना उच्च अधिकारियों को दे दी है।