रोहतास में ब्लैक राइस की बंपर पैदावार, जाने क्यों 600 रुपए प्रति किलो बिकता है चावल

Sanjeev Shrivastava

NEWSPR DESK: रोहतास जिला को धान का कटोरा कहा जाता है. यहां के किसान उन्नत धान उपजाने के लिए विख्यात है. लेकिन इस बार जिला के शिवसागर प्रखंड के चमराहा गांव के किसान प्रकाश कुमार ने ब्लैक राइस की खेती कर नवाचार शुरू किया है. बता दें कि ब्लैक राइस एक उन्नत नस्ल की कृषि है, और यह चावल 500 से 600 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बाजार में बिकता है. बताया जाता है कि गुणवत्ता के हिसाब से यह चावल बहुत स्वास्थ्यवर्धक है.

खासकर मधुमेह से पीड़ित लोगों के लिए यह फायदेमंद है. चुकी शुगर के पेशेंट को चावल खाने की मनाही है. ऐसे में ब्लैक राइस इसका एक बेहतर विकल्प है. सबसे बड़ी बात है कि इसमें कार्बोहाइड्रेट की मात्रा काफी कम होती है, तथा एंटीऑक्सीडेंट होता है. जिस कारण यह पौष्टिक है. यह केलोस्ट्रोल को भी बढ़ने नहीं देता. साथ ही मोटापा को भी कम करता है. जानकार कहते हैं कि पहले इसकी खेती चीन में हुआ करती थी. लेकिन बाद के दिनों में असम तथा मणिपुर में भी इसकी खेती होने लगी. हाल ही में उत्तराखंड में भी ब्लैक राइस की बंपर पैदावार इस बार शुरू हुई है. लेकिन बिहार में फिलहाल इस खेती के बारे में किसानों को कम जानकारी है.

रोहतास के शिवसागर के किसान प्रकाश कुमार सिंह इस खेती के बारे में बताते हैं कि इलाके में जागरूकता की कमी के कारण उपज के बावजूद इसका स्थानीय बाजार में मूल्य नहीं मिल पा रहा है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में 600 रुपये प्रतिकिलो तक यह चावल बिकते हैं. काला धान की खेती फिलहाल इस इलाके के लिए कौतूहल बनी हुई है. लेकिन किसान प्रकाश का दावा है कि आने वाले समय में लोग इसके गुणवत्ता से परिचित होंगे और किसानों के लिए उनके फायदे का ट्रंप कार्ड बनेगा. बता दें कि पिछले 2 सालों से प्रकाश काले धान की खेती कर रहे हैं.

इसके अलावे अब वे काले गेहूं भी उपजाना शुरू कर दिए हैं. वे कहते हैं कि काला गेहूं भी पौष्टिक से लवरेज होता है. यह स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है. गौरतलब है कि आज प्रकाश कुमार सिंह जैसे किसान को जरूरत है कि उसे डिजिटल मार्केटिंग से जोर कर उसके उत्पादन को सही बाजार दिलाने की. ताकि आने वाले समय में इस खेती को इलाके में बढ़ावा दिया जाए और किसानों के माली हालत में इससे गुणात्मक सुधार हो सके.

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