पटना डेस्कः वर्चुअल प्रचार छोटी पार्टियों के लिए संभव नहीं है, यह बड़ी पार्टियों के लिए आसान है। यह कहना है पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा का। शनिवार को वह पटना में आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित कर रहे थे। श्री सिन्हा ने कहा कि चुनाग आयोग को तय करना है कि वह प्रचार के लिए किस प्रकार की व्यवस्था करती है। इस दौरान उन्होंने आनेवाले विधानसभा चुनाव के लिए तीसरे मोर्चे के गठन करने की बात कही।
बिहार में कोरोना महामारी के बीच नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं। जिसको लेकर भाजपा मतदाताओं तक पहुंचने के लिए कई जिलों में वर्चुअल रैली कर रही है। जिसे कोरोना काल में कामयाबी मिल रही है। माना जा रहा है कि चुनाव के दौरान प्रचार के लिए चुनाव आयोग इसी तरह की रैली को मंजूरी प्रदान करेगी। लेकिन, पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा इस व्यवस्था को सही नहीं मानते हैं। उनका कहना है कि इस प्रकार की व्यवस्था छोटी पार्टियां नहीं कर सकती हैं। चुनाव आयोग को दूसरी व्यवस्था करनी होगी, ताकि मतदाताओं तक हम अपनी बात पहुंचा सकें।
नीतीश को बताया नाकाम मुख्यमंत्री
श्री सिन्हा ने मौजूदा राज्य सरकार को पूरी तरह से नाकाम बताया। उन्होंने बताया कि पिछले 27 साल से बिहार देश में सबसे पिछड़ा राज्य है। यहां प्रति व्यक्ति आय 47,500 है, जो कि राष्ट्रीय औसत का सिर्फ एक तिहाई है। उन्होंने रोजगार के मुद्दे पर नीतीश सरकार को घेरते हुए कहा कि यहां कोई उद्योग नहीं लगा, हर साल 40 लाख लोग काम की तलाश में दूसरे राज्य जाते हैं। स्वास्थ्य के क्षेत्र में राज्य देश में सबसे पिछड़ा राज्य है।
चुनाव के लिए ठोंकी ताल
विधानसभा चुनाव के लिए तीसरे मोर्चे के गठन के लिए पटना पहुंचे पूर्व केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि आनेवाला चुनाव तय करेगा कि हम कौन से मोर्चे हैं। उन्होंने बताया कि कई बड़े नेता हमारे संपर्क में हैं। जिनके बारे में आनेवाले कुछ दिनों में बताया जाएगा।
कम समय में हो इलेक्शन
कोरोना को देखते हुए विधानसभा चुनाव को एक चरण में कराने की चर्चा तेज हो गई है। श्री सिन्हा ने भी माना कि मौजूदा हालात में चुनाव को लंबा खिंचना सही नहीं होगा। लेकिन, इस पर अंतिम फैसला चुनाव आयोग को करना है। उनके पास ज्यादा बेहतर आंकड़े मौजूद हैं।