लालू की चुप्पी, क्या बदलेगी नए साल में राजनीतिक समीकरण?

Sanjeev Shrivastava

NEWSPR डेस्क। बिहार विधानसभा चुनाव के बाद से भले ही नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव बिहार सरकार और नीतीश कुमार को घेरने में लगे हो, लेकिन राष्ट्री य जनता दल के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव शांत है, लेकिन नीतीश कुमार खूब बोल रहे है.

आपको बता दें कि लालू को वाचाल नेता के रुप में माना जाता है तो नीतीश को शांत नेता के रुप में माना जाता हैं. जेल में रहने के चलते लालू को अभिव्यक्ति का माध्यम भले बदलना पड़ गया, लेकिन इसके बावजुद भी बोलना नहीं छोड़ें. मगर इस बार लालू और नीतीश दोनों की भूमिकाएं बदली-बदली नजर आ रहीं हैं. जहा लालू चुप हैं और नीतीश बोल रहे हैं. तो दुसरी तरफ जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में नीतीश कुमार खूब बोले. बाद में भी कई तरह के कयासों पर स्थिति स्पष्ट की. जाहिर है, पर्दे के पीछे सबकुछ वैसा नहीं चल रहा, जैसा बाहर दिख रहा है. जिसको लेकर सवाल अनोको उटनें लगे हैं कि क्यान नए साल में राजनीतिक हालात करवट लेंगे?

लालू की नजरों में इस हालात के अर्थ गहरे हो सकते हैं. इसीलिए आरजेडी नेताओं को मायने-मतलब समझा दिया गया है. लालू परिवार से जुड़े सूत्रों का मानना है कि पूरे प्रकरण का लाभ आरजेडी दो तरह से उठाने की कोशिश में है. पहला सत्ता के संदर्भ में और दूसरा जमीनी स्तर पर। लालू परिवार को लग रहा है कि भारतीय जनता पार्टी की जेडीयू से जितनी खटपट होगी, दूरी बढ़ेगी और संवादहीनता की स्थिति आएगी, आरजेडी के पक्ष में उतना ही बेहतर माहौल और मुहूर्त बनेगा. सत्ता का केंद्र बदला तो ठीक, नहीं तो कम से कम संगठन को मजबूती जरूर मिलेगी.

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