NEWSPR DESK- भारत मौसम विज्ञान विभाग के वैज्ञानिकों ने कहा कि हवा की गुणवत्ता में और गिरावट आने की संभावना है, 1 अप्रैल तक शहर में तेज हवाएं चलने की संभावना है। क्षेत्रीय मौसम पूर्वानुमान केंद्र के प्रमुख कुलदीप श्रीवास्तव ने कहा कि आसमान के रंग में परिवर्तन मुख्य रूप से धूल के कारण होता है। चारों ओर मिट्टी उड़ रही है और तेज हवाएँ इस मिट्टी और धूल के कणों को बढ़ा रही हैं।
लगभग 40 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से बहने वाली पश्चिमी हवाएं भी राजस्थान से धूल ला रही हैं। ये स्थिति 1 अप्रैल तक जारी रहेगी, जिसके बाद तापमान में और वृद्धि होगी। मंगलवार दोपहर को रिलेटिव ह्यमिडिटी केवल 16% से 17% तक रही। आईएमडी के वैज्ञानिकों के अनुसार, धूल भरी हवाएं पूरे इंडो- गैंगटिक प्लेंस क्षेत्र को प्रभावित कर रही हैं।
उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और दिल्ली के कुछ हिस्सों में सोमवार को साफ आसमान, सोलर रेडिएशन और कम हवा की गति के कारण हीट वेव की स्थिति दर्ज की गई। लेकिन तेज हवाएं अब अधिकतम तापमान को नियंत्रण में रखने में मदद करेंगी। अधिकतम तापमान 2 अप्रैल या 3 अप्रैल से फिर से बढ़ेगा।
अचानक अधिक गर्मी की वजहः
दिल्ली में प्रादेशिक मौसम पूर्वानुमान केंद्र के निदेशक डॉ. कुलदीप श्रीवास्तव बताते हैं कि कमजोर पश्चिमी विक्षोभ की वजह से इस बार लोगों को सामान्य से ज्यादा गर्मी झेलनी पड़ रही है। पहले तो फरवरी महीने में जो पश्चिमी विक्षोभ आए वे कमजोर रहे। फिर मार्च के महीने में भी आए पश्चिमी विक्षोभ कमजोर रहे। इसकी वजह से उच्च हिमालयी क्षेत्रों में हिमपात कम हुआ और मैदानी इलाकों में बरसात कम हुई। इसके चलते गर्मी का स्तर सामान्य से ज्यादा रहा।
गर्मी के और बढ़ने का अनुमान:
मौसम वैज्ञानिक अभिषेक आनंद का कहना है कि ऊपरी वायुमंडल में चक्रवाती प्रवाह नहीं है। आसमान साफ होने से सूर्य की तेज किरण से लू का अहसास हो रहा है। अगले 24 घंटे तापमान में वृद्धि के आसार हैं। मौसम विशेषज्ञों का मानना है कि अप्रैल के प्रथम सप्ताह में गर्मी और ज्यादा बढ़ सकती है। स्काईमेट मौसम रिपोर्ट के अनुसार मध्य भारत में भीषण गर्मी का प्रकोप अगले 24 घंटों तक जारी रहेगा।
अचानक तेज गर्मी सेहत के लिए ठीक नहीं :
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. विभव वार्ष्णेय के मुताबिक मौसम का एकाएक ये बदलाव सेहत के लिए ठीक नहीं है। विशेष रूप से बच्चों के लिए नुकसानदायक है। इस मौसम में सर्दी, जुकाम, खांसी, उल्टी-दस्त व वायरल आदि संक्रामक बीमारियों की चपेट में बच्चे आ सकते हैं। खानपान में भी सावधानी बरतने की जरूरत है।