सुजीत धर दूबे, गढ़वा
गढ़वा: रंका विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक सत्येंद्र नाथ तिवारी ने छठी जेपीएससी में सफल हुए अभ्यर्थियों की अनुशंसा को मुख्यमंत्री द्वारा दी गई मंजूरी पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करते हुए इसे राज्य के होनहार युवाओं के साथ विश्वासघात करार दिया है तथा सीबीआई जांच की मांग की है।
उन्होंने कहा कि छठी जेपीएससी की परीक्षाफल का प्रकाशन रात के अंधेरे में वैश्विक महामारी कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन के काल में हुआ था। प्रकाशित रिजल्ट में भारी अनियमितता का मामला मैंने उठाया था। पुनः सोमवार को प्रकाशित परीक्षाफल, जिसमें काफी अनियमितता होने एवं कई दर्जन अभ्यर्थियों द्वारा उच्च न्यायालय में दायर याचिका का निष्पादन हुए बिना लॉकडाउन काल में ही जेपीएससी के अनुशंसा का अनुमोदन कर राज्य सरकार ने यहां के पढ़े-लिखे बेरोजगार होनहार-योग्य नौजवानों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है।
पूर्व विधायक ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जब विपक्ष के नेता थे तब छठी जेपीएससी में भारी भ्रष्टाचार की बात करते हुए राज्य के युवाओं के साथ अन्याय का रोना रोते थे। उन्होंने यहां तक कहा था अगर हमारी सरकार बनी तो मैं सीबीआई जांच की अनुशंसा करूंगा। लेकिन तमाम गड़बड़ियों को दरकिनार करते हुए मुख्यमंत्री ने परीक्षा फल को अनुमोदित कर दिया। जो राज्य सरकार की कथनी और करनी के अंतर को दर्शाता है। सभी को पता है कि छठी जेपीएससी में आरक्षण रोस्टर का भी पालन नहीं हुआ है। योग्य बच्चे सड़क पर भटक रहे हैं और अयोग्य लोग पैसे और पैरवी के बल पर पदाधिकारी बनने की कतार में खड़े हैं। जिससे बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर द्वारा संविधान में किए गए आरक्षण के प्रावधान की धज्जियां उड़ाई जा रही है। सरकार के इस फैसले ने यह साबित कर दिया है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा और महागठबंधन कि सरकार जनविरोधी है। इस घटना से राज्य सरकार का जन विरोधी चेहरा उजागर हुआ है।