Astrology Beat: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हर महीना खास होता हैं. हर महीने की अपनी एक अलग ही खासियत मानी जाती है. इसी क्रम में ज्योतिषीय नजरिये से जून का महीना बहुत ही खास माना जा रहा है.
कहा जा रहा है कि, इस महीने 12 में से 5 ग्रहों की चाल में बदलाव होगा. इनमें सूर्य और मंगल के राशि परिवर्तन के कारण अशुभ योग बनेंगे. जिनका असर देश की राजनीति पर पड़ेगा. इस महीने शनि जयंती पर साल का पहला सूर्यग्रहण होने वाला है. हालांकि भारत में नहीं दिखने से इस ग्रहण का प्रभाव यहां के लोगों पर नहीं पड़ेगा. लेकिन इसके कारण मौसम में अचानक बदलाव और प्राकृतिक आपदाएं आने की आशंका रहेगी. साथ ही दुर्घटनाएं भी बढ़ सकती है.
कहते है जून का महीना ज्येष्ठ का महीना होता है. इस महीने की अमावस्या पर शनि जयंती पर्व मनाया जाता है. इस बार शनि जयंती पर साल का पहला सूर्यग्रहण भी हो रहा है. ज्योतिष में सूर्य और शनि आपस में शत्रु माने जाते हैं. इसलिए ज्योतिषीय नजरिये से शनि देव की जन्म तिथि अमावस्या पर सूर्यग्रहण होना अशुभ फल देने वाला रहेगा. इस ग्रहण का असर भारत के लोगों पर तो नहीं पड़ेगा लेकिन इससे प्राकृतिक आपदाएं और दुर्घटनाएं होने की आशंका है.
मंगल का नीच राशि में प्रवेश: 2 जून को मंगल राशि बदलकर कर्क में आएगा. जिससे ये अपने शत्रु ग्रह शनि के सामने होगा. इस तरह शनि और मंगल का अशुभ योग बनेगा. जिससे देश-दुनिया में तनाव, विवाद और झगड़े बढ़ेंगे। देश की सीमाओं पर भी तनाव बढ़ सकता है. और बुध की चाल बदलेगी.
बुध ग्रह एक राशि पीछे आएगा: बुध ग्रह वक्री यानी टेढ़ी चाल चलते हुए आगे बढ़ने की बजाए 3 जून को एक राशि पीछे आ जाएगा. इसके साथ ही ये ग्रह सूर्य के पास होने की वजह से अस्त भी रहेगा. इस कारण देश में आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी और इंपोर्ट-एक्सपोर्ट से जुड़े बड़े मामले सामने आएंगे. इस ग्रह के कारण गले से जुड़ी बीमारियां बढ़ सकती हैं.
सूर्य का राशि परिवर्तन: इस महीने 15 जून को सूर्य मिथुन राशि में प्रवेश करेगा. इस दिन मिथुन संक्रांति पर्व रहेगा. इसके बाद अगले एक महीने तक सूर्य और शनि आपस में छठी और आठवीं राशि में रहेंगे. इस स्थिति को षडाष्टक योग कहा जाता है. ये एक अशुभ योग है. सूर्य और शनि आपस में शत्रु होने के कारण इस योग के प्रभाव से देश की जनता और प्रशासन के बीच अविश्वास बढ़ेगा. लोग प्रशासन से असंतुष्ट रहेंगे.
बृहस्पति की टेढ़ी चाल: 21 जून से गुरु कुंभ राशि में वक्री हो जाएगा. यानी टेढ़ी चाल से चलने लगेगा. देवताओं के गुरु बृहस्पति को धन, विवाह, ज्ञान और सत्कर्म का कारक माना गया है. उन्हें सर्वाधिक शुभ एवं शीघ्रफलदाई ग्रह माना गया है. बृहस्पति की चाल में बदलाव होने से कई लोगों की सेहत बिगड़ सकती है. इससे प्राकृतिक आपदाएं और बीमारियां बढ़ने की आशंका रहेगी.
शुक्र का राशि परिवर्तन: 22 जून को शुक्र मिथुन से निकलकर कर्क राशि में आ जाएगा और अपने मित्र शनि के साथ समसप्तक योग बनाएगा. शुक्र की इस स्थिति से कई लोगों की सेहत संबंधी परेशानियां कम होने लगेंगी. बीमारियों में भी राहत मिलेगी. शुक्र के प्रभाव से लोगों का सुख भी बढ़ेगा.