जरा, सोचिये एक मां जो अपने बच्चें को इतने लाड और प्यार से पालती है. उसके एक सिसक से मां की दिल की धड़कने तेज हो जाती हैं. अब अगर उस मां का बच्चा गोद में ही दम तोड़ दे, तो उस मां की क्या हालत होगी, उसकी तकलीफ, उसके दर्द की क्या सीमा हो सकती हैं.
Patna Desk: ऐसा ही एक दर्दनाक मामला, आंध्र प्रदेश के चित्तूर में सामने आया है. पिछले करीब 4 सालों से जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे 9 साल के एक बच्चे ने मंगलवार को अपनी मां की गोद में दम तोड़ दिया. ऐक्सिडेंट के बाद से बच्चे की नाक से लगातार ब्लीडिंग हो रही थी और डॉक्टर्स ने भी हाथ खड़े कर दिए थे. जिसके बाद मां-बाप इच्छामृत्यु के लिए कोर्ट में याचिका डालने की तैयारी में थे.
चित्तूर जिले के चौदेपल्ली मंडल के बीरजेपल्ली गांव के निवासी जी. अरुण पेशे से किसान हैं. परिवार में पत्नी जी. अरुणा और 9 साल का हर्षवर्धन था. 4 साल पहले बच्चे का ऐक्सिडेंट हो गया था, जिसके बाद से उसकी हालत खराब हो गई थी. मां अरुणा ने बताया कि ऐक्सिडेंट का असर दिमाग और स्पाइन पर पड़ा था. उसके नाक से लगातार खून बहता रहता था.
परिवार ने बच्चे को कई डॉक्टरों से दिखाया. वेल्लोर से लेकर तिरुपति सहित कई हॉस्पिटलों में गए. इलाज में लाखों की रकम खर्च की और इसके लिए कुछ खेत भी बेचना पड़ा. लेकिन डॉक्टरों का कहना था कि ऐक्सिडेंट की वजह से जो ब्लीडिंग डिसऑर्डर हुआ है, उसका कोई इलाज नहीं है. पैसे और उम्मीद दोनों ही खत्म होता देख कोर्ट में जाने का फैसला किया.
कोई उम्मीद नजर ना आती देख परिचित ने कोर्ट में जाने की सलाह दी. कोर्ट में याचिका डालकर या तो बेटे के इलाज में मदद या फिर इच्छा मृत्यु की अपील करना तय किया गया. क्योंकि उनसे बेटे का दुख देखा नहीं जा रहा था. असहाय मां अपने बेटे को लेकर याचिका के लिए दो दिनों से पुंगानूर कोर्ट के चक्कर काट रही थी.
वह मंगलवार को भी बच्चे के साथ कोर्ट आईं. लेकिन याचिका फाइल नहीं हो सकी. ऑटो से घर वापस लौट रही थीं कि तभी बेटे को अचानक से अधिक ब्लीडिंग होने लगी और उसने मां के हाथों में ही दम तोड़ दिया.