देश में जल्द ही सबसे सस्ती कोरोना वैक्सीन आ सकती है. हैदराबाद की कंपनी बायोलॉजिकल-ई की एंटी कोरोना वायरस वैक्सीन Corbevax के कम कीमत पर बाजार में आने की उम्मीद है. इस वैक्सीन के दो डोज की कीमत 500 रुपए से भी कम होने की उम्मीद है. उम्मीद है आगे चलकर इसकी कीमत और कम भी हो सकती है. बायोलॉजिकल ई की मैनेजिंग डायरेक्टर महिला दतला ने एक इंटरव्यू में इसका संकेत दिया था. हालांकि अभी इस वैक्सीन को आधिकारिक मंजूरी मिलना बाकी है और कीमत को अंतिम रूप देने पर विचार किया जा रहा है.
SII की कोविशील्ड वैक्सीन की कीमत राज्य सरकारों के लिए 300 रुपए प्रति डोज और निजी अस्पतालों के लिए 600 रुपए प्रति डोज है. वहीं भारत बायोटैक की कोवैक्सिन की एक डोज स्टेट के लिए 400 रुपए जबकि प्राइवेट अस्पतालों के लिए 1200 रुपए है. वहीं डॉ रेड्डी लैबोरेट्रीज ने रूस की कोरोना वैक्सीन स्पुतनिक वी की कीमत 995 रुपये प्रति डोज तय की है. ये महज स्टेट और प्राइवेट अस्पतालों को मिलेगी. कॉर्बेवैक्स के तीसरे फेज का ट्रायल चल रहा है और इसके परिणाम सकारात्मक हैं. अभी इस वैक्सीन के इमरजेंसी यूज को मंजूरी नहीं मिली है. केंद्र सरकार की तरफ से पहले ही 1500 करोड़ रुपए एडवांस देकर 30 करोड़ डोज का ऑर्डर दे चुकी है.
वैक्सीन के बेहतर परिणाम को देखते हुए भारत सरकार ने 30 करोड़ वैक्सीन डोज की प्रीबुकिंग की है, जिसके लिए केंद्र की तरफ से 50 रुपए प्रति डोज के हिसाब से 1500 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया गया है. कॉर्बेवैक्स की कीमत तय करने की रणनीति का सबसे पहला संकेत टेक्सास की बायलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन (बीसीएम) में नेशनल स्कूल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन (एनएसटीएम) की एसोसिएट डीन डॉ मारिया एलेना बोटाज़ी ने दिया था. उनके मुताबिक हेपेटाइटिस बी की वैक्सीन और पारंपरिक तकनीक का इस्तेमाल करके सिर्फ 1.5 डॉलर (करीब 110 रुपए) प्रति डोज के हिसाब से इसका प्रोडक्शन किया जा सकता है.
हेल्थ मिनिस्ट्री के अनुसार, जो वैक्सीन बायोलॉजिकल-ई बना रही है वह RBD प्रोटीन सब-यूनिट वैक्सीन है. इसमें SARS-CoV-2 के रिसेप्टर-बाइंडिंग डोमेन (RBD) के डिमेरिक फॉर्म का ऐंटीजेन की तरह इस्तेमाल होता है. वैक्सीन की क्षमता बढ़ाने के लिए इसमें एक एडजुवेंट CpG 1018 भी मिलाया गया है. यह वैक्सीन दो डोज में उपलब्ध होगी. पहली डोज के 28 दिन बाद दूसरी डोज लगेगी.
बायोलॉजिकल ई ने पिछले कुछ महीने में टीके का प्रोडक्शन शुरू कर दिया है. कंपनी की एमडी महिमा ने विश्वास जताया कि कंपनी अगस्त से हर महीने 7.5-8 करोड़ डोज का प्रोडक्शन करने लगेगी. यदि वैक्सीन को जुलाई-अगस्त तक इमरजेंसी यूज की मंजूरी प्राप्त हो जाती है तो यह देश में वैक्सीन की कमी को काफी हद तक कम कर सकती है. वैक्सीन की कमी की वजह देश के टीकाकरण अभियान प्रभावित हुआ है.
देश में कोरोना की दूसरी लहर ढलान पर है और आने वाले समय में तीसरी लहर के खतरे की आशंका जताई गई है. ऐसे वैज्ञानिकों का मानना है कि तीसरी लहर को वैक्सीन के जरिए रोका जा सकता है, लेकिन देश में वैक्सीन की कमी है. इस कमी को दूर करने के लिए भारत सरकार ने कई कदम उठाने शुरू कर दिए हैं. इसके तहत ही भारत में बन रही एक वैक्सीन के करोड़ डोज बुक किए जा रहे हैं.