Patna Desk: बिहार राज्य में एक बार फिर से शिक्षक नियोजन प्रक्रिया की शुरुआत हाईकोर्ट से मिली इजाजत के बाद शुरू कर दी गई है. लेकिन स्वतंत्रता सेनानी को मिलने वाले 2% के क्षैतिज आरक्षण को कई जिलों में व्यवहार में नहीं लिए जाने के कारण, इस समूह के अभ्यर्थी अब हाई कोर्ट की तरफ रुख करने की तैयारी में हैं.
इस समूह के अभ्यर्थी बताते है कि हमलोगों को राज्य सरकार की और से 2015 से 2% क्षैतिज आरक्षण का प्रावधान है लेकिन इस आरक्षण प्रणाली को शिक्षक नियोजन प्रक्रिया में कई जिला के शिक्षा पदाधिकारी अपने रोस्टर में व्यवहार के रूप में लेने से अब तक इंकार कर रहे हैं.
उन्होंने बताया कि राज्य के लगभग सभी जिलों में इस आरक्षण प्रणाली को व्यवहार में लिया गया है लेकिन मधेपुरा, सुपौल और अररिया जिले के शिक्षा पदाधिकारी के द्वारा इस आरक्षण प्रणाली को अब तक व्यवहार में नहीं लिया गया जोकि बहुत ही निंदनीय और अन्यायपूर्ण है. हम लोग यह अन्याय बर्दाश्त नहीं करेंगे.
उन्होंने बताया कि इस आलोक में हमने जिला शिक्षा पदाधिकारी से लेकर राज्य के लोक शिकायत निवारण केंद्र और प्रारंभिक शिक्षा के सचिव श्रीमान रणजीत सिंह को कई बार आवेदन लिखकर और मिलकर भी दिया, ताकि इस मामले पर संज्ञान लिया जा सके लेकिन अब तक इस मामले में किसी ने संज्ञान नहीं लिया है. यहां तक कि मधेपुरा, अररिया, नवादा और सुपौल के शिक्षक नियोजन रोस्टर में इस आरक्षण प्रणाली को चिन्हित नहीं किया गया जबकि बिहार के अन्य सभी जिला में इस आरक्षण प्रणाली को व्यवहार में लिया गया है.
अब हम लोगों के पास एक ही रास्ता है वो है माननीय न्यायालय का रास्ता. यदि निश्चित समय तक (9 जून 2021) तक इस आरक्षण प्रणाली को व्यवहार में नहीं लिया गया तो हम लोग भी माननीय न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे और न्याय की गुहार लगाएंगे. उन्होंने बताया कि शिक्षक नियोजन प्रक्रिया में दिव्यांगों को भी 4% क्षैतिज आरक्षण का प्रावधान था लेकिन राज्य सरकार के द्वारा इसे व्यवहार में नहीं लिया गया इसलिए नेशनल फेडरेशन ऑफ ब्लाइंड को न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ा और अंत में उसे न्याय मिला. तो हम लोग भी पूरी तरह से आश्वस्त हैं कि हम लोगों को भी न्याय जरुर मिलेगा.