NEWSPR डेस्क। आस्था व परंपरा के तहत श्रद्धालु यमुना के घाटों पर आएंगे, लेकिन कालिंदी की स्थिति जार-जार है। यमुना नदी प्रदूषण से कराह रही है। घाटों पर गंदगी के अंबार लगे हुए हैं। यमुना बोल सकती तो कहती इन परंपराओं से पहले मेरी सुध लो, मुझे गंदगी से उबारो, स्वच्छ बनाकर रखो। यही मेरे प्रति आस्था होगी।
गंगा दशहरा पर मुझे साफ करने का प्रण लो। कैलाश घाट से लेकर ताजमहल के दशहरा घाट तक यमुना का पानी न नहाने लायक है और न ही सिंचाई लायक। शहर के 91 नाले यमुना नदी में गिरकर उसे प्रदूषित कर रहे हैं। 280 एमएलडी सीवर में से केवल 160 एमएलडी सीवर ही ट्रीटमेंट के लिए पहुंच रहा है।
बाकी सीवर यमुना नदी को मैला कर रहा है। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने यमुना जल की स्थिति की रिपोर्ट जारी की है, जिसमें कैलाश घाट के मुकाबले ताजमहल के पीछे दशहरा घाट पर तीन गुना ज्यादा प्रदूषण है।