NEWSPR/PATNA DESK : राज्य की पंचायती व्यवस्था पिछले 6 महीने से भंग है. उसकी जगह त्रिस्तरीय कार्यकारी समिति काम कर रही है. पंचायत, प्रखंड से लेकर जिला स्तर तक, इसी समिति के जरिये कामकाज का संचालन हो रहा. पर पंचायतें इससे असहज हो गयीं हैं. लगभग 4400 पंचायत राज्य में हैं. वे मानती हैं कि कार्यकारी समिति के जरिये भले सरकार की नीयत पंचायती व्यवस्था को प्रोत्साहित करना हो पर वास्तव में समिति के चलते पंचायतों का विकास धीमा हो गया है. फाइलबाजी ज्यादा हो रही. इसका नतीजा है कि 14वें औऱ 15वें वित्त का काम पंचायतों में फंस गया है. तकरीबन सभी पंचायतों में 15वें वित्त का 15 लाख से अधिक पैसा यूं ही पड़ा है. 14वें का भी कई पंचायतों में 20-25 लाख फंसा हुआ है l
ब्लॉक का बढ़ा रोल
त्रिस्तरीय कार्यकारी समिति में मुखिया को प्रमुख बनाया गया है. इसके अलावा इसमें पंचायत सचिव औऱ सीआई-सीओ या प्रखंड से नामित पदाधिकारी को भी शामिल किया गया है. पंचायतों का मानना है कि इससे खासतौर पर एमबी (मापी पुस्तिकी) औऱ भुगतान का मसला जटिल हो गया है. समिति के बाद डीपीएम (जिला कार्यक्रम प्रबंधक) द्वारा अनुमोदन, डिजिटल साइन का अपग्रेडेशन औऱ तमाम बिंदुओं के कारण भुगतान प्रक्रिया में 4-6 महीना तक लग रहा है. ब्लॉक कॉर्डिनेटर औऱ अन्य के चलते भी अनावश्यक विलंब होने से योजनाओं में पेमेंट फंसा रहता है.
इसी तरह पूर्व में एमबी पंचायत स्तर पर ही अनुमोदित होता था. अब इसमें ब्लॉक का रोल बढ़ने से समय लग रहा है. अलग अलग कारणों से 3-4 महीना तक लग जा रहा है. कंप्यूटर ऑपरेटर, जेई की कमी का खामियाजा भी उठाना पड़ रहा है. ऑपरेटर रहता भी है तो ब्लॉक ऑफिस ही उससे सेवा लेता है.
झारखंड राज्य मुखिया संघ के प्रदेश सचिव अनूप कुमार कहते हैं कि पिछले साल से अब तक 15वां वित्त का पैसा दो किश्तों में पंचायतों को मिला है. पर पिछले ही साल से कोरोना की आफत शुरू हो गयी. इसके चलते 2 से 5 फीसदी भी पैसा पिछले साल पंचायत उपयोग नहीं कर सकी. अब भी इस साल तकरीबन 80 फीसदी पैसे पंचायतों के अटके पड़े हैं. छोटी छोटी जरूरी योजनाओं पर काम फंसा हुआ है. सरकार अगर 14वें वित्त के गाइडलाइन के अनुसार काम करने का निर्देश दे तो काम की गति बढ़ेगी. पर इसकी बजाये रह रहकर कागजी घोड़ा दौड़ाया जाता रहता है. हर सप्ताह, दो सप्ताह पर ब्लॉक से किसी काम के संबंध में अलग अलग तरह के निर्देश जारी होने से काम और भुगतान का मसला उलझ जा रहा है
कंप्यूटर ऑपरेटर औऱ जेई की बहाली जल्दः निदेशक
पंचायती राज निदेशक आदित्य रंजन कहते हैं कि चूंकि अब पंचायती व्यवस्था भंग है. अब कोई निर्वाचित प्रतिनिधि के तौर पर पंचायतों में कोई नहीं है. ऐसे में एक वैकल्पिक व्यवस्था के तहत कार्यकारी समिति में पढ़े लिखे और जागरुक लोगों को जोड़ा गया है. इससे काम की गति भले धीमी हुई हो पर क्वालिटी वर्क बढ़ा है. जलमीनार लगाये जाने जैसे कामों में निर्धारित सीमा से ऊपर का बजट बनता था.
यह रूका है. करोड़ों रुपये की रिकवरी हुई है. जल्द ही आने वाले समय में सोशल ऑडिट की प्रक्रिया भी बहाल होगी. ऐसे में रिकॉर्ड को व्यवस्थित रखा जाना महत्वपूर्ण है. कंप्यूटर ऑपरेटर, जेई की जल्द से जल्द नियुक्ति के संबंध में आपदा प्रबंधन विभाग से मदद मांगी गयी है. निर्देश प्राप्त होते ही इस प्रक्रिया को पूरा किया जायेगा. इससे पंचायतों को बड़ी राहत भी मिलेगी.