अपनी पत्‍नी के शव को कंधे पर रख 10 किमी. पैदल चलने वाले की बेटी ने पास की मैट्रिक परीक्षा

Rajan Singh

NEWSPR DESK- भुवनेश्वर. ओडिशा में कालाहांडी जिले के एक सरकारी अस्पताल में शव वाहन कथित तौर पर नहीं मिलने के बाद पत्नी के शव को कंधे पर लेकर 10 किलोमीटर तक पैदल चले दाना माझी की बेटी चांदनी माझी ने 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा पास कर ली है. परीक्षा परिणाम शुक्रवार को घोषित किए गए और वह उन 2,81,658 लड़कियों में शामिल है जिन्होंने बोर्ड परीक्षा पास कर ली है.

भुवनेश्वर के कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (KISS) की तरफ से चलाए जा रहे एक आदिवासी स्कूल की छात्रा चांदनी माझी को 600 में से 280 अंक मिले हैं. उसकी दो छोटी बहनें भी स्कूल में पढ़ाई कर रही हैं. जिले के थुआमुल-रामपुर मंडल में मेलाघर गांव के दाना माझी 2016 में पत्नी के शव के साथ 10 किलोमीटर तक पैदल चले थे. उस दौरान चांदनी भी अपने पिता के साथ पैदल चली थी.

इस घटना के सामने आने के बाद केआईएसएस के संस्थापक डॉ ए सामंत ने माझी की गरीबी को देखते हुए उनकी तीनों बेटियों को अपने स्कूल में दाखिला दिया था. इस पर चांदनी ने सामंत का आभार जताया था. सामंत ने बताया कि केआईएसएस का 100 फीसदी परीक्षा परिणाम रहा जबकि राज्य स्तर पर पास प्रतिशत 97.89 प्रतिशत रहा. इंस्टीट्यूट के 1,900 छात्र परीक्षा में बैठे थे. गजपति जिले के सौरा जनजाति के मोहन चरण राइता 540 अंकों के साथ केआईएएस टॉपर बने.

इसमें से इस साल 1900 छात्र-छात्राओं ने दसवीं बोर्ड की परीक्षा दी थी और सभी छात्र-छात्रा पास हो गए हैं। इसमें से 629 छात्र-छात्राओं ने 70 प्रतिशत से अधिक नंबर रखा है। राज्य की सफलता दर 97.89 प्रतिशत थी जबकि कीस की पास दर 100 प्रतिशत हुई है। इसमें गजपति जिले के सउरा संप्रदाय के छात्र मोहन चरण रइत ने सर्वाधिक 540 नंबर प्राप्त कर कीस टापर बने हैं। इस साल मैट्रिक परीक्षा में कीस से डिडाई, जुआंग, खड़िया, कुटिया कंध, लोध, लांजिया, सउरा एवं बंडा आदि आदिम जनजाति के 573 छात्र-छात्राओं ने मैट्रिक में सफलता हासिल की है।

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