बोकारोः कमर्शियल माइनिंग लागू कर कोल ब्लॉक की नीलामी करना कोल इंडिया के निजीकरण की ओर बढ़ने का महत्वपूर्ण क़दम है।जिससे लोगों की श्रम शक्ति समाप्त होगी साथ ही पहले से बर्बाद अर्थव्यवस्था और भी चौपट हो जायेगा। यह कहना है संयुक्त मोर्चा के नेताओं का। उक्त बातें उन्होंने कथारा ढोरी, करगली , करो माईनस आदि जगहों में तीन दिवसीय हड़ताल की सफलता को लेकर आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कही। अध्यक्षता टीम में श्यामल सरकार, रविन्द्र मिश्रा श्याम बिहारी सिंह दिनकर, विलसन फ्रांसीस उर्फ बबलू ,वरूण कुमार सिंह शामिल थे।
प्रेस काॅफ्रेंस के दौरान कमर्शियल माइनिंग व मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ मजदूरों ने 2, 3 व 4 जुलाई के तीन दिवसीय देशव्यापी हड़ताल को शत-प्रतिशत सफल होने पर तमाम मजदूरों, कर्मचारियों सभी यूनियन के लोगों को बधाई देते हुए आभार प्रकट किया। नेताओं ने कहा की कोविड 19 व लॉकडाउन के तमाम प्रतिबंधों के बावजूद कोयला मजदूरों ने जिस तरह से अटूट चट्टानी एकता का परिचय दिया है जो अत्यंत प्रशंसा के योग्य हैं। यह हड़ताल केन्द्र सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ था जिससे कोयला मज़दूरों का भविष्य और कोल इंडिया का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है।
बर्बादी का रास्ता है निजिकरण
कमर्शियल माइनिंग लागू कर कोल ब्लॉक की नीलामी करना कोल इंडिया के निजीकरण की ओर बढ़ने का महत्वपूर्ण क़दम है।जिससे लोगों की श्रम शक्ति समाप्त होगी साथ ही पहले से बर्बाद अर्थव्यवस्था और भी चौपट हो जायेगा। कोयला जनता की संपति है इसे इसे पूंजीपतियों के हवाले नहीं करने दिया जाएगा। तीन दिवसीय हड़ताल पूर्ण रूप से सफल हुआ जिसकी सफलता में कोल श्रमिकों ने अहम भूमिका निभाई है और उसे अमलीजामा पहनाने का कार्य संयुक्त मोर्चा ने। हम सभी परियोजनाओं में जो लगातार पीट मीटिंग किया गया है वह मेहनत भी रंग लाया की मजदूर अपने हक अधिकार के लिए स्वंय आगे आए और हड़ताल को सफल बनाया। की हड़ताल की यह सफलता ऐतिहासिक रूप से जाना जायेगा। लेकिन विडंबना यह देखने को मिल रहा है कि तीन दिवसीय हड़ताल के बाद भी केंद्र सरकार की कानों पर अब तक जू तक नहीं रेंगा। मजदूर संघ ने तीन दिवसीय हड़ताल में संयुक्त मोर्चा ने चट्टानी एकता का परिचय दिया है।